Friday, January 4, 2019

दीपाली को पत्र


प्यारी लड़की
दीपाली

ख़ुशी के साथ बीतते दिन और हम दोनों ही कुशलता से हैं, आशा ही नहीं पूरा विश्वास है तुम भी बिलकुल स्वस्थ, व्यस्त और मस्त होगी, तुम्हे इस रविवार को पत्र लिखना था लेकिन व्यस्तता के कारण २ दिन लेट हो गया, खैर जब जब जागो तब रविवार और रविवार का पत्र.....

नया साल आ गया है, मुझे हर नए साल पर वोई पुराना गाना याद आता है, देखो टू थाऊजन जमाना आ गया,  मिलके जीने का बहाना आ गया| जबकि २०१९ आ चुका है पर मैं आज भी २००० पर ही अटका हूँ|

मुझे नया साल पसंद है, इसलिए नहीं की इसे मनाने का चलन है या सब इसे मानते है, बल्कि इसलिए क्योंकि ये मुझे ख़ुशी देता है, नयेपन की, दरअसल मुझे हर वो त्यौहार पसंद है जो मुझे ख़ुशी से भर दे...

दीपाली तुमसे पहचान fb के जरिये हुई, fb की उपलब्धि में एक तुम हो, मुझे उलझे व्यक्तित्व आकर्षित करते हैं और सुलझे व्यक्तित्व प्रभावित करते हैं, तुम सुलझी वाली केटेगिरी से हो इसलिए तुम्हे दोस्त बना लिए और तुमसे सीखता रहता हूँ, साफ सफ्फाक लोग सही लगते हैं, हमको |

तेज हवा के झोंके बस की खिड़की से आते हैं, और चेहरे से भिड जातें हैं, और चेहरे के साथ हमारा पूरा जिस्म सिहर उठता है, हम कुछ देर यूँ ही सिहरते रहते हैं फिर हमारा शरीर इसका अभ्यस्त हो जाता है, कुछ देर बाद हमे उस हवा में मजा आने लगता है, वस्तुतः प्रकृति का आनंद उसमे डूबकर ही लिया जा सकता है, हम प्रत्येक चीज़ को सूक्ष्मता से देखें, जाने... और उसे महसूस करें , पेड़ों के ऊपर चढ़ें, फूलों को निहारें, पानी में कूंदे और उसे महसूस मन अपने आप खुश हो जायेगा, हम किसी चीज़ का आनंद बाहर से लेना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करके हम केवल अपनी परछाईं पानी डालते हैं और सोचते हैं हमने नहा लिया| प्रकृति आपको खुश देखना चाहती है , जरुरत भर इतनी है की तुम उसे समझ लो.....

मुझे आजकल अलग अलग विचार आते हैं, कभी एकदम पुराने ज़माने में चला जाता हूँ कभी एकदम मॉडर्न ज़माने से सोचने लगता हूँ, पुराने और नए का द्वंद्व पीछा ही नहीं छोड़ता, चूँकि मैं निष्कर्ष पर जल्दी नहीं पहुँचता, इसलिए द्वंद्व ख़त्म हो गया इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा, हां पुराने नए में सामंजस्य बनाने का समर्थक हूँ,

शुरुआत हर योजना की सबसे पहले मन में होती है, उसे बाद में वास्तविकता के धरातल पर उतारा जाता है, जिनमे से कुछ योजनायें मन में रह जाती हैं और कुछ ही कार्यान्वित हो पाती हैं, किसी योजना को कार्यान्वित करने  के लिए उसके प्रति विश्वास जरुरी है ९० प्रतिशत काम विश्वास से निपट जाता है, अब जो काम समय लगेगा प्रोसेस में लगने वाला है,....काम तो पूरा हो चुका .....
पहले के लोग शारीरिक  मेहनत में यकीं रखते थे  इसका मतलब यह कतई नहीं है, कि वे बुद्धिमान नहीं थे, बेशक वे बुद्धिमान थे लेकिन वे बुद्धि और शरीर में सामंजस्य बिठाकर रखते थे और दीर्घायु जीते थे, वो भी निरोगी और सुखी रहकर, चिंता मुक्त होकर| वे बुद्धि का इकतरफा प्रयोग नहीं करते थे, क्योंकि वे जानते थे की बुद्धि का इकतरफा प्रयोग आगे चलकर बुराई को ही जन्म देगा |

सिद्धांत बने रहे भले  परिस्थितियाँ बदलती रहें, आजकल लोग परिस्थितियों के अनुसार अपने सिद्धांत बनाते हैं, मुझे ये पसंद नहीं....

खैर सीखना बंद कभी नहीं करना, ये बड़ी बात है... हाँ अपने अन्दर के बच्चे को जीवित रखो, वो तुम्हे जिन्दा बनाये रखेगा /.....

अपने हिस्से की कहानी ढूंढो और उसका मुख्य किरदार बनो लड़की 

ढेर सारे प्यार सहित
छोटा भाई 
पीयूष जैन शास्त्री
 
दीपाली 





No comments:

Post a Comment

उन लड़को के लिए जो सपने देखते है

उन लड़को के लिए जो सपने देखते है   आशा है आप सभी स्वस्थ और आनंद में होंगे ,  कुछ दिनों से आप लोगों से कुछ बातें कहनी थी ,  पर आवश्यक कार्यो...