Sunday, July 22, 2018

दिशा के लिए २

चौथा रविवार
अगर आप इस ब्लॉग को पहली बार पढ़ रहे हैं तो आप यही रुक जाएं और इस श्रृंखला का दूसरा पत्र पढ़ ले फिर ये पत्र पढ़े आपको पूरी बात समझने में आसानी होगी।

प्रिय दिशा
  मैं कोटा में कुशलता पूर्वक , स्वस्थ और मजे में हूँ और आशा करता हूँ की तुम भी सागर में अपनी पढाई करते हुए स्वस्थ रहकर अपनी जिंदगी के ताने-बाने बुन रही होगी |
साक्षी या जीजाजी ने तुम्हे पिछला पत्र पढने दिया होगा ओर आशा है वह पत्र तुम्हे पसंद आया होगा|  पिछले पत्र में कुछ बातें पढाई के बारे में की थी, इस बार फिर  कुछ बातें शिक्षा और पढाई से सम्बंधित करूँगा
पिछले पत्र में जो बताया था की शिक्षा के बोझ हो जाने का एकमात्र कारण उसका उद्देश्य बदल जाना है .....  दरअसल हर काम में सबसे ज्यादा फर्क इसी कारण से पढता है.... कई सारे उदहारण है इसके...... खेर तुम जो अब आगे बढ़ रही हो तो कुछ बातों का ध्यान रखो और हर जगह याद रखो की अगर कुछ नया सीखने का मौका मिल रहा है तो वहाँ जरुर सीखो ... क्या सीखना है ये तुम्हे चुनना होगा ..... कई बार लोग इसमें कहेगे अच्छा बुरा सब सीखो .. लेकिन अच्छे के साथ बुरा केवल उतना सीखो की तुम किसी और का बुरा न होने दो और न खुद के साथ बुरा होने दो ...... मतलब बुरे को  सीखने का मतलब इतना ही है की ये करने लायक नहीं है , अच्छे को सीखने का मतलब बस ये ही करने लायक है ......
चलो पढाई और शिक्षा के बारे में देखते है शिक्षा पुरे जीवन को प्रभावित और परिष्कृत करने वाली विद्या है पर अगर ये ऐसा नहीं कर रही तो समझ लेना .....कही न कही झोल है |
बाकि जीवन भर सीखना और शिक्षा चलती है लेकिन शुरुआती शिक्षा क अपने मायने है ये पुरे जीवन भर अपना प्रभाव रखती है और जो नीव अच्छी हो गयी तो बिल्डिंग मजबूत रहेगी..... पर आज के दौर में कमजोर नीव पर बड़ी और सुन्दर दिखावटी इमारतों का चलन है जो जल्दी दरारों से भर जाती है और आखिर में भरभरा कर गिर पड़ती है  ..... तुम्हे अपनी नीव मजबूत बनानी होगी जिससे आगे का जीवन मजबूत और टिकाऊ खुशियों से भरा रहे.....
विकल्प हमेशा रहता है अब हमे चुनना होता है की कठिन और बेहतरीन मंजिल वाला रास्ता चुने या सरल और बेकार मंजिल वाला रास्ता चुने ..
चुनाव तुम्हे करना है ....
बाकि मैं हमेशा कहता हूँ चीज़े केवल उतनी ही आसान होती है जितनी आसान उन्हें हम बनाते है ....
अपने रास्तो को इसे ही आसान बनाते जाओ बच्चे ....
ढेर सारा प्यार
         पीयूष शास्त्री




6 comments:

  1. सही है आजकल बच्चो पर जिम्मेदारी ज्यादा है क्योंकि बच्चो के माता पिता भी रटाई को पढाई मान बैठे हैं

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  2. Replies
    1. शुक्रिया
      3 पत्र और लिखे है उन्हें पढ़ा क्या???
      ये 2nd पत्र का दूसरा भाग है

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