प्रिय पीयूष,
हम यहाँ ख़ैरियत से हैं और आपकी, आपके अहलो अयाल की ख़ैरियत ख़ुदावन्द करीम से नेक चाहते हैं।
पता नहीं कितने सालों बाद ख़त का यह शुरुआती मज़मून लिखा है, टाइप तो पहली ही बार किया है। आख़िरी ख़त 2005 में तुम्हारे फूफाजी(अब यही कहेंगे न, बुआ बना लिया है तो) का आया था। अत्यंत महंगे कॉल रेट और पूरी बैच में एकमात्र मोबाइलधारक होने के गर्व के दौर में हर हफ़्ते ख़त लिखा करते थे। उसके बाद तुम्हारा यह ख़त पाकर आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई.…..
हममें बहुत सी बातें कॉमन हैं, पढ़ने का शौक, बल्कि पैशन। और मोटिवेशनल, सेल्फ हेल्प किताबें पढ़ने की अनिच्छा, किस्से कहानियों कल्पनाओं के शौकीन। किताबें समय समय पर सजेस्ट करते रहेंगे हम एक दूसरे को, पहले तुम्हारे सवालों के जवाब दे दूं। तुमने इतने भारी सवालों के लायक़ समझा यह तुम्हारा प्यार और सम्मान है वरना मैं ख़ुद भी अभी सीख समझ और जूझ ही रही हूँ।
1. कोई भी इंसान जॉब, व्यापार, शादी में नया नया उतरा है उसे क्या करना चाहिये?
हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है कि 20-25 साल तक तो बच्चे पैरासाइट की तरह मां बाप से चिपटे रहते हैं, फिर अचानक से एक दिन उनको पता लगता है आज रिज़ल्ट आ गया है/डिग्री मिल गयी है कल से कामधाम शुरू करना है जबकि विदेशों में स्कूल टाइम से ही हुनर सिखाते हैं हाईस्कूल पूरा करते करते बच्चे स्वावलम्बी बन जाते हैं। इसलिये अभी तो पढ़ रहा है/रही है वाले एक्सक्यूज़ न देकर लगे हाथों किसी न किसी हुनर में हाथ आज़माना आगे का रास्ता आसान कर देता है।
जॉब या व्यापार है और दिल का नहीं है, पसन्द नहीं है तो उसमें कूदने के बजाय थोड़ा ब्रेक ले लो, दुनिया घूम लो, दुनिया नहीं तो देश तो कम से कम, काम की नब्ज़ पकड़ो समझो डिमांड सप्लाय का सायकल देखो। यक़ीन मानना ज़िन्दगी बर्बाद करने से एक साल बर्बाद करना बेटर चॉइस है। इंटरनेट का भरपूर सही इस्तेमाल करो तब व्यापार जॉब में कूदो। पब्लिक रिलेशन पर ख़ास ध्यान दो, जितना इंटरेक्टिव और मिलनसार रहोगे उतना अच्छा होगा पर बेवकूफ़ या भावुक नहीं, प्रेक्टिकल।ख़ासतौर से पैसों के मामले में 'किसी पर भी' अंधविश्वास नहीं करना। क्वालिटी और ईमानदारी पर टिके रहोगे तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। अपनी क्षमताएं और सीमाएं भी पहचानना ज़रूरी है और
उनको निरन्तर बढाते जाना।
शादी का ऐसा है सब कहते हैं प्यार अंडरस्टेंडिंग, कॉम्पेटिबिलिटी मैं भी कुछ अलग नहीं बता रही। बस विश्वास सबसे बड़ी चीज़ है। प्यार का स्वरूप वक़्त के साथ बदल जाता है, तूफानी होता है, भँवर, मंझधार में फंसता है, बरसता है, तपता है सूखता, झरने जैसा बहता है फिर शांत झील जैसा जिसमें समय समय पर पत्थर पड़ते हैं तरंगे उठती हैं, पर एक दूसरे पर विश्वास है तो सारी फेज़ गुज़रती चली जाती हैं। कभी उसके पास्ट के लिये प्रेज़ेंट या फ्यूचर में ताने टोचे मत मारना। उसके साथ रहो जिसके बिन नहीं रह सकते। अंडरस्टेंडिंग बनते बनते बनती है बिगड़ती है फिर बनती है। सुंदरता फ़ानी है पल पल क्षीण होती है शरीर की तरह, शीर्यते इति शरीरं.... जिसका पल पल क्षरण हो वही तो शरीर है इसलिये जैसा कि हमेशा कहती हूँ जहां मोहब्बत पतली होती है ऐब मोटे लगने लगते हैं। प्यार होता है तो कमियां चुभती नहीं। अगर किसी को यह सोचकर चुनो कि अपने प्यार से उसमें बदलाव ले आओगे, तो मत चुनो। जो जैसा है उसकी तमाम कमियों खूबियों सहित अपना सकते हो तो ही आगे बढ़ो। और कुछ अपेक्षा मत करो। हालांकि होता यह है कि अपने लव्ड वन को हम अपने जीवन का केंद्र बनाकर सारी अपेक्षाएं लगा लेते हैं, पर लीस्ट एक्सपेक्टेशंस रखोगे तो पूरी न होने पर दुखी न होगे और उम्मीद से ज़्यादा या उतना भर भी मिल गया तो बोनस वाली खुशी अलग। अपने लिये परिवार के लिये आया, केयरटेकर, मम्मी बनाकर मत लाओ, अपने ही जैसा नॉर्मल इंसान समझो अगर उसकी जगह तुम किसी अनजान जगह अजनबी लोगों के बीच रहते तो कैसे डील करते इस बात को ध्यान में रखते हुए जज करना। बहुत बड़ा टॉपिक है समय समय पर डिस्कस करेंगे।
2.लेखन को चुस्त बनाने के लिये क्या करना चाहिये?
पढ़ना पढ़ना पढ़ना और पढ़ना। बिन अच्छा पढ़े अच्छा लिखा नहीं जा सकता और बुरा क्या होता है क्या नहीं लिखना है यह भी पता चलता है। पर उस पढ़े हुए को सही जगह सही समय पर इम्प्लिकेट करना भी आना चाहिये नहीं तो गधे पर किताबें या तोता रण्टन वाली कहानी बन जाती है। साथ ही आँख कान दिमाग़ हमेशा खुला रखना, मैटर तो 24 घण्टे हमारे सामने है, उसे शब्दों में ही तो ढालना है, और शब्द समृद्ध होंगे पढ़ाई से....
साथ ही उपयोगी पढ़ना भी ज़रूरी है नहीं तो समय नष्ट होगा। हमारे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दुआ किया करते थे या अल्लाह मुझे नफ़ा हासिल करने वाला इल्म अता कर। ऐसा ज्ञान जिससे कोई फ़ायदा हो सके। नुक़सान या अनुपयोगी नहीं।
3. समय का सदुपयोग कैसे करें?
इस पर तो ग्रन्थ पर ग्रन्थ लिखे जा चुके हैं। मैं इतना ही कहूँगी प्रायोरिटी डिसाइड करो। लिस्ट बनाओ। चेकलिस्ट भी उद्देश्यों और लक्ष्यों की भी। लिखने से काम 4 गुना तेज़ी से निपटता है। क्योंकि दिमाग़ में एक स्पष्ट तस्वीर होती है क्या करना है। फिर बचे समय को अपने हिसाब से यूज़ करो। टाइम मैनेजमेंट और मल्टी टास्किंग टिप्स को आज़माते रहो। हमेशा हर काम में परफेक्शन मत तलाशो, जो काम कोई और या स्टाफ कर सकता हो उसमें अपनी समय और ऊर्जा मत खपाओ। क्रिएटिविटी पर फोकस रखो।
4. पढाई, काम, खेल रुचि पर केंद्रित कैसे रहें।
पहली बात मन का हो तो मन लगा ही रहता है। दूसरी बात, दिमाग़ किसी भी एक टॉपिक पर औसतन 45 मिनट बढ़िया तरीके से कॉंसेन्ट्रेट कर सकता है फिर फोकस हटने लगता है। इसलिये हर काम से थोड़ा थोड़ा ब्रेक लेते रहो। टाइमटेबल नहीं परफॉर्मेंस टेबल बनाओ इतने घण्टे यह सब्जेक्ट पढ़ना है की बजाय आज इतने टॉपिक कम्प्लीट करना है ऐसा टारगेट बनाओ। टारगेट जल्दी पूरा हो जाए तो अगला टॉपिक उठा लेने की बजाय खुद को ईनाम दो, घूमने निकल जाओ दोस्तों से मिल आओ, खेल खेलो। खुद को एप्रिशिएट करना भी आना चाहिये।
मुझे लगता है पत्र से बड़ा और बोरिंग उत्तर हो गया है इसलिये आज के लिये इतना ही.... उम्मीद है सिलसिला जारी रहेगा।
ख़ूब प्यार और दुआएं.....
हम यहाँ ख़ैरियत से हैं और आपकी, आपके अहलो अयाल की ख़ैरियत ख़ुदावन्द करीम से नेक चाहते हैं।
पता नहीं कितने सालों बाद ख़त का यह शुरुआती मज़मून लिखा है, टाइप तो पहली ही बार किया है। आख़िरी ख़त 2005 में तुम्हारे फूफाजी(अब यही कहेंगे न, बुआ बना लिया है तो) का आया था। अत्यंत महंगे कॉल रेट और पूरी बैच में एकमात्र मोबाइलधारक होने के गर्व के दौर में हर हफ़्ते ख़त लिखा करते थे। उसके बाद तुम्हारा यह ख़त पाकर आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई.…..
हममें बहुत सी बातें कॉमन हैं, पढ़ने का शौक, बल्कि पैशन। और मोटिवेशनल, सेल्फ हेल्प किताबें पढ़ने की अनिच्छा, किस्से कहानियों कल्पनाओं के शौकीन। किताबें समय समय पर सजेस्ट करते रहेंगे हम एक दूसरे को, पहले तुम्हारे सवालों के जवाब दे दूं। तुमने इतने भारी सवालों के लायक़ समझा यह तुम्हारा प्यार और सम्मान है वरना मैं ख़ुद भी अभी सीख समझ और जूझ ही रही हूँ।
1. कोई भी इंसान जॉब, व्यापार, शादी में नया नया उतरा है उसे क्या करना चाहिये?
हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है कि 20-25 साल तक तो बच्चे पैरासाइट की तरह मां बाप से चिपटे रहते हैं, फिर अचानक से एक दिन उनको पता लगता है आज रिज़ल्ट आ गया है/डिग्री मिल गयी है कल से कामधाम शुरू करना है जबकि विदेशों में स्कूल टाइम से ही हुनर सिखाते हैं हाईस्कूल पूरा करते करते बच्चे स्वावलम्बी बन जाते हैं। इसलिये अभी तो पढ़ रहा है/रही है वाले एक्सक्यूज़ न देकर लगे हाथों किसी न किसी हुनर में हाथ आज़माना आगे का रास्ता आसान कर देता है।
जॉब या व्यापार है और दिल का नहीं है, पसन्द नहीं है तो उसमें कूदने के बजाय थोड़ा ब्रेक ले लो, दुनिया घूम लो, दुनिया नहीं तो देश तो कम से कम, काम की नब्ज़ पकड़ो समझो डिमांड सप्लाय का सायकल देखो। यक़ीन मानना ज़िन्दगी बर्बाद करने से एक साल बर्बाद करना बेटर चॉइस है। इंटरनेट का भरपूर सही इस्तेमाल करो तब व्यापार जॉब में कूदो। पब्लिक रिलेशन पर ख़ास ध्यान दो, जितना इंटरेक्टिव और मिलनसार रहोगे उतना अच्छा होगा पर बेवकूफ़ या भावुक नहीं, प्रेक्टिकल।ख़ासतौर से पैसों के मामले में 'किसी पर भी' अंधविश्वास नहीं करना। क्वालिटी और ईमानदारी पर टिके रहोगे तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। अपनी क्षमताएं और सीमाएं भी पहचानना ज़रूरी है और
शादी का ऐसा है सब कहते हैं प्यार अंडरस्टेंडिंग, कॉम्पेटिबिलिटी मैं भी कुछ अलग नहीं बता रही। बस विश्वास सबसे बड़ी चीज़ है। प्यार का स्वरूप वक़्त के साथ बदल जाता है, तूफानी होता है, भँवर, मंझधार में फंसता है, बरसता है, तपता है सूखता, झरने जैसा बहता है फिर शांत झील जैसा जिसमें समय समय पर पत्थर पड़ते हैं तरंगे उठती हैं, पर एक दूसरे पर विश्वास है तो सारी फेज़ गुज़रती चली जाती हैं। कभी उसके पास्ट के लिये प्रेज़ेंट या फ्यूचर में ताने टोचे मत मारना। उसके साथ रहो जिसके बिन नहीं रह सकते। अंडरस्टेंडिंग बनते बनते बनती है बिगड़ती है फिर बनती है। सुंदरता फ़ानी है पल पल क्षीण होती है शरीर की तरह, शीर्यते इति शरीरं.... जिसका पल पल क्षरण हो वही तो शरीर है इसलिये जैसा कि हमेशा कहती हूँ जहां मोहब्बत पतली होती है ऐब मोटे लगने लगते हैं। प्यार होता है तो कमियां चुभती नहीं। अगर किसी को यह सोचकर चुनो कि अपने प्यार से उसमें बदलाव ले आओगे, तो मत चुनो। जो जैसा है उसकी तमाम कमियों खूबियों सहित अपना सकते हो तो ही आगे बढ़ो। और कुछ अपेक्षा मत करो। हालांकि होता यह है कि अपने लव्ड वन को हम अपने जीवन का केंद्र बनाकर सारी अपेक्षाएं लगा लेते हैं, पर लीस्ट एक्सपेक्टेशंस रखोगे तो पूरी न होने पर दुखी न होगे और उम्मीद से ज़्यादा या उतना भर भी मिल गया तो बोनस वाली खुशी अलग। अपने लिये परिवार के लिये आया, केयरटेकर, मम्मी बनाकर मत लाओ, अपने ही जैसा नॉर्मल इंसान समझो अगर उसकी जगह तुम किसी अनजान जगह अजनबी लोगों के बीच रहते तो कैसे डील करते इस बात को ध्यान में रखते हुए जज करना। बहुत बड़ा टॉपिक है समय समय पर डिस्कस करेंगे।
2.लेखन को चुस्त बनाने के लिये क्या करना चाहिये?
पढ़ना पढ़ना पढ़ना और पढ़ना। बिन अच्छा पढ़े अच्छा लिखा नहीं जा सकता और बुरा क्या होता है क्या नहीं लिखना है यह भी पता चलता है। पर उस पढ़े हुए को सही जगह सही समय पर इम्प्लिकेट करना भी आना चाहिये नहीं तो गधे पर किताबें या तोता रण्टन वाली कहानी बन जाती है। साथ ही आँख कान दिमाग़ हमेशा खुला रखना, मैटर तो 24 घण्टे हमारे सामने है, उसे शब्दों में ही तो ढालना है, और शब्द समृद्ध होंगे पढ़ाई से....
साथ ही उपयोगी पढ़ना भी ज़रूरी है नहीं तो समय नष्ट होगा। हमारे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दुआ किया करते थे या अल्लाह मुझे नफ़ा हासिल करने वाला इल्म अता कर। ऐसा ज्ञान जिससे कोई फ़ायदा हो सके। नुक़सान या अनुपयोगी नहीं।
3. समय का सदुपयोग कैसे करें?
इस पर तो ग्रन्थ पर ग्रन्थ लिखे जा चुके हैं। मैं इतना ही कहूँगी प्रायोरिटी डिसाइड करो। लिस्ट बनाओ। चेकलिस्ट भी उद्देश्यों और लक्ष्यों की भी। लिखने से काम 4 गुना तेज़ी से निपटता है। क्योंकि दिमाग़ में एक स्पष्ट तस्वीर होती है क्या करना है। फिर बचे समय को अपने हिसाब से यूज़ करो। टाइम मैनेजमेंट और मल्टी टास्किंग टिप्स को आज़माते रहो। हमेशा हर काम में परफेक्शन मत तलाशो, जो काम कोई और या स्टाफ कर सकता हो उसमें अपनी समय और ऊर्जा मत खपाओ। क्रिएटिविटी पर फोकस रखो।
4. पढाई, काम, खेल रुचि पर केंद्रित कैसे रहें।
पहली बात मन का हो तो मन लगा ही रहता है। दूसरी बात, दिमाग़ किसी भी एक टॉपिक पर औसतन 45 मिनट बढ़िया तरीके से कॉंसेन्ट्रेट कर सकता है फिर फोकस हटने लगता है। इसलिये हर काम से थोड़ा थोड़ा ब्रेक लेते रहो। टाइमटेबल नहीं परफॉर्मेंस टेबल बनाओ इतने घण्टे यह सब्जेक्ट पढ़ना है की बजाय आज इतने टॉपिक कम्प्लीट करना है ऐसा टारगेट बनाओ। टारगेट जल्दी पूरा हो जाए तो अगला टॉपिक उठा लेने की बजाय खुद को ईनाम दो, घूमने निकल जाओ दोस्तों से मिल आओ, खेल खेलो। खुद को एप्रिशिएट करना भी आना चाहिये।
मुझे लगता है पत्र से बड़ा और बोरिंग उत्तर हो गया है इसलिये आज के लिये इतना ही.... उम्मीद है सिलसिला जारी रहेगा।
ख़ूब प्यार और दुआएं.....