Sunday, October 28, 2018

बुआ का ख़त

प्रिय पीयूष,
हम यहाँ ख़ैरियत से हैं और आपकी, आपके अहलो अयाल की ख़ैरियत ख़ुदावन्द करीम से नेक चाहते हैं।
पता नहीं कितने सालों बाद ख़त का यह शुरुआती मज़मून लिखा है, टाइप तो पहली ही बार किया है। आख़िरी ख़त 2005 में तुम्हारे फूफाजी(अब यही कहेंगे न, बुआ बना लिया है तो) का आया था। अत्यंत महंगे कॉल रेट और पूरी बैच में एकमात्र मोबाइलधारक होने के गर्व के दौर में हर हफ़्ते ख़त लिखा करते थे। उसके बाद तुम्हारा यह ख़त पाकर आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई.…
..
हममें बहुत सी बातें कॉमन हैं, पढ़ने का शौक, बल्कि पैशन। और मोटिवेशनल, सेल्फ हेल्प किताबें पढ़ने की अनिच्छा, किस्से कहानियों कल्पनाओं के शौकीन। किताबें समय समय पर सजेस्ट करते रहेंगे हम एक दूसरे को, पहले तुम्हारे सवालों के जवाब दे दूं। तुमने इतने भारी सवालों के लायक़ समझा यह तुम्हारा प्यार और सम्मान है वरना मैं ख़ुद भी अभी सीख समझ और जूझ ही रही हूँ।
1. कोई भी इंसान जॉब, व्यापार, शादी में नया नया उतरा है उसे क्या करना चाहिये?
हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है कि 20-25 साल तक तो बच्चे पैरासाइट की तरह मां बाप से चिपटे रहते हैं, फिर अचानक से एक दिन उनको पता लगता है आज रिज़ल्ट आ गया है/डिग्री मिल गयी है कल से कामधाम शुरू करना है जबकि विदेशों में स्कूल टाइम से ही हुनर सिखाते हैं हाईस्कूल पूरा करते करते बच्चे स्वावलम्बी बन जाते हैं। इसलिये अभी तो पढ़ रहा है/रही है वाले एक्सक्यूज़ न देकर लगे हाथों किसी न किसी हुनर में हाथ आज़माना आगे का रास्ता आसान कर देता है।
जॉब या व्यापार है और दिल का नहीं है, पसन्द नहीं है तो उसमें कूदने के बजाय थोड़ा ब्रेक ले लो, दुनिया घूम लो, दुनिया नहीं तो देश तो कम से कम, काम की नब्ज़ पकड़ो समझो डिमांड सप्लाय का सायकल देखो। यक़ीन मानना ज़िन्दगी बर्बाद करने से एक साल बर्बाद करना बेटर चॉइस है। इंटरनेट का भरपूर सही इस्तेमाल करो तब व्यापार जॉब में कूदो। पब्लिक रिलेशन पर ख़ास ध्यान दो, जितना इंटरेक्टिव और मिलनसार रहोगे उतना अच्छा होगा पर बेवकूफ़ या भावुक नहीं, प्रेक्टिकल।ख़ासतौर से पैसों के मामले में 'किसी पर भी' अंधविश्वास नहीं करना। क्वालिटी और ईमानदारी पर टिके रहोगे तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। अपनी क्षमताएं और सीमाएं भी पहचानना ज़रूरी है और




उनको निरन्तर बढाते जाना।
शादी का ऐसा है सब कहते हैं प्यार अंडरस्टेंडिंग, कॉम्पेटिबिलिटी मैं भी कुछ अलग नहीं बता रही। बस विश्वास सबसे बड़ी चीज़ है। प्यार का स्वरूप वक़्त के साथ बदल जाता है, तूफानी होता है, भँवर, मंझधार में फंसता है, बरसता है, तपता है सूखता, झरने जैसा बहता है फिर शांत झील जैसा जिसमें समय समय पर पत्थर पड़ते हैं तरंगे उठती हैं, पर एक दूसरे पर विश्वास है तो सारी फेज़ गुज़रती चली जाती हैं। कभी उसके पास्ट के लिये प्रेज़ेंट या फ्यूचर में ताने टोचे मत मारना। उसके साथ रहो जिसके बिन नहीं रह सकते। अंडरस्टेंडिंग बनते बनते बनती है बिगड़ती है फिर बनती है। सुंदरता फ़ानी है पल पल क्षीण होती है शरीर की तरह, शीर्यते इति शरीरं.... जिसका पल पल क्षरण हो वही तो शरीर है इसलिये जैसा कि हमेशा कहती हूँ जहां मोहब्बत पतली होती है ऐब मोटे लगने लगते हैं। प्यार होता है तो कमियां चुभती नहीं। अगर किसी को यह सोचकर चुनो कि अपने प्यार से उसमें बदलाव ले आओगे, तो मत चुनो। जो जैसा है उसकी तमाम कमियों खूबियों सहित अपना सकते हो तो ही आगे बढ़ो। और कुछ अपेक्षा मत करो। हालांकि होता यह है कि अपने लव्ड वन को हम अपने जीवन का केंद्र बनाकर सारी अपेक्षाएं लगा लेते हैं, पर लीस्ट एक्सपेक्टेशंस रखोगे तो पूरी न होने पर दुखी न होगे और उम्मीद से ज़्यादा या उतना भर भी मिल गया तो बोनस वाली खुशी अलग। अपने लिये परिवार के लिये आया, केयरटेकर, मम्मी बनाकर मत लाओ, अपने ही जैसा नॉर्मल इंसान समझो अगर उसकी जगह तुम किसी अनजान जगह अजनबी लोगों के बीच रहते तो कैसे डील करते इस बात को ध्यान में रखते हुए जज करना। बहुत बड़ा टॉपिक है समय समय पर डिस्कस करेंगे।

2.लेखन को चुस्त बनाने के लिये क्या करना चाहिये?
पढ़ना पढ़ना पढ़ना और पढ़ना। बिन अच्छा पढ़े अच्छा लिखा नहीं जा सकता और बुरा क्या होता है क्या नहीं लिखना है यह भी पता चलता है। पर उस पढ़े हुए को सही जगह सही समय पर इम्प्लिकेट करना भी आना चाहिये नहीं तो गधे पर किताबें या तोता रण्टन वाली कहानी बन जाती है। साथ ही आँख कान दिमाग़ हमेशा खुला रखना, मैटर तो 24 घण्टे हमारे सामने है, उसे शब्दों में ही तो ढालना है, और शब्द समृद्ध होंगे पढ़ाई से....
साथ ही उपयोगी पढ़ना भी ज़रूरी है नहीं तो समय नष्ट होगा। हमारे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दुआ किया करते थे या अल्लाह मुझे नफ़ा हासिल करने वाला इल्म अता कर। ऐसा ज्ञान जिससे कोई फ़ायदा हो सके। नुक़सान या अनुपयोगी नहीं।

3. समय का सदुपयोग कैसे करें?
इस पर तो ग्रन्थ पर ग्रन्थ लिखे जा चुके हैं। मैं इतना ही कहूँगी प्रायोरिटी डिसाइड करो। लिस्ट बनाओ। चेकलिस्ट भी उद्देश्यों और लक्ष्यों की भी। लिखने से काम 4 गुना तेज़ी से निपटता है। क्योंकि दिमाग़ में एक स्पष्ट तस्वीर होती है क्या करना है। फिर बचे समय को अपने हिसाब से यूज़ करो। टाइम मैनेजमेंट और मल्टी टास्किंग टिप्स को आज़माते रहो। हमेशा हर काम में परफेक्शन मत तलाशो, जो काम कोई और या स्टाफ कर सकता हो उसमें अपनी समय और ऊर्जा मत खपाओ। क्रिएटिविटी पर फोकस रखो।

4. पढाई, काम, खेल रुचि पर केंद्रित कैसे रहें।
पहली बात मन का हो तो मन लगा ही रहता है। दूसरी बात, दिमाग़ किसी भी एक टॉपिक पर औसतन 45 मिनट बढ़िया तरीके से कॉंसेन्ट्रेट कर सकता है फिर फोकस हटने लगता है। इसलिये हर काम से थोड़ा थोड़ा ब्रेक लेते रहो। टाइमटेबल नहीं परफॉर्मेंस टेबल बनाओ इतने घण्टे यह सब्जेक्ट पढ़ना है की बजाय आज इतने टॉपिक कम्प्लीट करना है ऐसा टारगेट बनाओ। टारगेट जल्दी पूरा हो जाए तो अगला टॉपिक उठा लेने की बजाय खुद को ईनाम दो, घूमने निकल जाओ दोस्तों से मिल आओ, खेल खेलो। खुद को एप्रिशिएट करना भी आना चाहिये।
मुझे लगता है पत्र से बड़ा और बोरिंग उत्तर हो गया है इसलिये आज के लिये इतना ही.... उम्मीद है सिलसिला जारी रहेगा।
ख़ूब प्यार और दुआएं.....




Monday, October 22, 2018

ईहा को (नन्ही परी को)


प्यारी  ईहा


मैं काफी दिनों से सोच रहा था तुम्हे पत्र लिखूं , लेकिन नहीं लिख पाया क्योकि कित्ते सारे लोगो को पत्र लिखना था और थोडा व्यस्त भी था, तुम धीरे धीरे बड़ी हो रही हो, और इस दुनिया को जान रही हो, और सीख रही हो ....बढ़ना और सीखना सबसे मजेदार चीज़े हैं.

जब थोड़ी और बड़ी हो जाओ तो इस ख़त को पढना, तुम्हारी मम्मी इसे तुम्हे समझा देगी. अभी तो तुम बहुत छोटी हो इतनी की पत्र शब्द  का अर्थ समझ में नहीं आएगा, लेकिन थोड़ी बड़ी होने पर इसे तुम पढ़ लोगी और समझदार होने पर इसे समझ लोगी. बहुत सी बातों में पहली बात यह है की मैं कोटा रुक पाया उसमे तुम एक बड़ी वजह हो बच्चे, तुम्हे देखकर हर तकलीफ हवा हो जाती है. दिन का बहुत कम हिस्सा मैं तुम्हारे साथ बिताता हूँ, लेकिन वो मुझे बहुत सारी ऊर्जा  भर देने के लिए बहुत होता है.
तुम अपने माता पिता की दूसरी संतान हो तिस पर लड़की भी, तुमने भारत देश में जन्म लिया आध्यात्मिक और बौद्धिकता वाला देश लेकिन मर्यादाओं से सुरक्षित क्षेत्र में. लेकिन यहाँ लोगों को मर्यादाओं को बंधन बना देने की आदत रही . भारत में दूसरी कन्या का जन्म होना आज भी लोगो को अजीब लगता है. हाँ वही पितृसत्तात्मक सोच और पुरुषों को महान मानने की सोच, तुम्हारी माँ को भी तुम्हारे होने पर ऐसी अजीब निगाहों और तानो के साथ लाचारी भरी फ़िज़ूल की सहानुभूति भरी आँखों के सामने से गुजरना पडा. इससे मैं इस बात से यह कहना चाहता हूँ, की तुम इस बात को सोच कर हमेशा अपने पैर जमीं पर रखते हुए उन्हें गलत साबित करना जो ऐसा सोचते हैं , उन्हें गलत साबित करने करने के लिए नहीं बल्कि उस सोच को गलत साबित करने के लिए की तुम दूसरी लड़की हो और कमजोर होओगी. तुम मजबूत बनना खुद के लिए. क्योंकि तुम मजबूत हो.

तुम भाग्यशाली हो की तुम्हारे पिता जो एक अच्छे प्राचार्य के साथ बेहतरीन इंसान हैं तुम उनकी छाया तले बढ़ रही हो. उनसे सीखना तुम विनम्र रहकर कैसे अपने आप को सही सिद्ध किया जाता है. आपस के लोगों का ख्याल रखा जाता है. छोटी छोटी बातों का ख्याल रखना बड़ी बात होती है. एक शिक्षक के तौर पर वो तुम्हे इतना ही सिखायेगे की बच्चे तुम सीख सकते हो. जब ये विश्वास तुम्हे हो जाएगा तो तुम अपना रास्ता खुद चुन लोगी. किसी भी चीज़ को सीखने के लिये उसमे डुबकी लगाना ही बेहतर उपाय है.
तुम जिस परिवेश में रह रही हो या जिस तरह का माहोल तुम्हे जन्म लेते ही मिल गया वो भारत में रहने वाले चुनिन्दा लोगो को ही हासिल है, इस मौके का अच्छे से दोहन करना. लेकिन तुम सब चीज़े सीखना. अपनी नज़र बड़ी करना, हर चीज़ को विस्तृत द्रष्टिकोण से देखना तब तुम्हे कई फेसले लेने में आसानी होगी.

तुम किसको कितनी वरीयता देती हो ये तुम्हारे जीवन की रूपरेखा तय करेगी , लड़की होना कोई अलग बात नहीं है, आज मौके दोनों को हैं,   पर ये तुम्हे खुद खोजने पड़ेगे .
मौका तुम्हारे पास है की पुराने  बने रास्तों पर चलकर इतिहास में गुम हो जाओ या अपने रास्ते खुद खोजकर एक नया इतिहास रच दो. मुझे लगता है तुम्हे दूसरा चुनना चाहिए.

बड़ा होने के नाते तुम्हे एक बात जरुर कहूँगा की देखि सुनी बातों पर भरोसा तभी करना जब  तुम्हारा दिल इस पर राजी हो. क्योंकि चित्र वही दिखाते है जो हम देखना चाहते हैं... अगर सच देखना हो तो तो सच दिखायेगे और झूठ देखना हो तो झूठ...
अभी तुम डेढ़ साल की हो अपने पेरों पर स्थिर खड़ी हुई तुम्हारे मुंह से चाचा सुनना मुझे बड़ा भाता है .

अपने दिल को पवित्र और अपनी मासूमियत हमेशा बचाए रखना ...

ढेरों शुभकामनाओ और ढेर सारी मुहब्बत के साथ 

तुम्हारा चाचा
पीयूष जैन शास्त्री 
गौरझामर 

अक्की को

प्रिय आकाश कोटा में हूँ ,और मजे में हमेशा की तरह और जिन्दा तो हैईहैं, आशा है तुम भी जबलपुर में अपनी पढाई करते हुए मजे से होगे और अंकुर भैया की लाते और गालियाँ दोनों खा रहे होगे , मुझे करीब साढ़े तीन महीने कोटा आये हुए हो गये है, और इस दौरान काफी कुछ बातें सीखी और अपनाई , बुरी बातों पर भी ध्यान दिया और अच्छी बातों पर भी ध्यान दिया बुरी बातों पर इसलिए ताकि उनसे बचा जा सके और अच्छी बातों पर इसलिए ताकि उन्हें अपनाया जा सके .... तुम यक़ीनन भाग्यवान हो की तुम्हारे ऊपर कोई बड़ा भाई है, हालाकि छोटे भाई का होना भी मजेदार होता है, पर बड़े पद और नाम के साथ जिम्मेदारी भी बड़ी आती है, लेकिन अच्छा होता है, कोई आपकी अदब करने वाला हो और आपकी सलाहों को अमल में लाने वाला हो, लेकिन बड़ा भाई होना चैये सबका, खेर हम और तुम आसपास के गाँव के है दूरी ३६ किलोमीटर लेकिन मिले कहाँ जयपुर जो हमारे गाँवों से ७०० किलोमीटर दूर है, मुद्दा ये है की हम मिले और दोस्त बने और वो भी पक्के वाले, मुझे लगता है अच्छे दोस्तों के लिए बहुत ज्यादा बातें करने की जरुरत नहीं होती बल्कि आपस की बोन्डिंग और अंडरस्टेंडिंग मायने रखती है, जो हमारे बीच है, मुझे अभी याद है हमारी कनिष्ठ में हाथापाई भी हुई, और तुम्हारी उँगलियों पर मेरे दांतों की अमिट छाप अब भी होगी , ये बाते भी वक्त की रेत में कैद है, जो आज भी इतनी दूरी होने के बावजूद चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी है और तेरे मुंह में गाली ....पिछले बार जब जबलपुर आया था तब लगा नहीं की किसी दोस्त के घर पर हूँ लगा अपने घर में हूँ, अंकुर भैया की हर बात को खोज खोज कर सुनने की आदत के चलते कब १२ बज गये पता ही नहीं चला था, जयपुर में जाने कितनी बार देर रात गाँधी सर्किल पर गप्पे हाकी है और जाने कितनी बार मोहन की कॉफ़ी पीने साथ ही गये, मुझे लगता है , इतनी कॉफ़ी पिलाने के बाद जीवन भर भी तू मुझे कॉफ़ी पिलाये तो भी हमेशा एक कॉफ़ी उधार रहेगी .... आकाश तेरी कुछ खासियतों में एक है, तेरे हँसने की आदत और भावुक होने की आदत, पहले का छोटा शर्मीला लड़का जो अब मस्त और हेंडसम हो गया, समय के साथ चलना बेहतर होता है पर उनमे अपने खुद के सिद्धांतो का पुट हो तो सोने पे सुहागा होता है और संतुष्टि तो साथ मिलती है , यहाँ कोटा में करीब पिछले २ हफ्ते पूरी तरह से बर्बाद हुए कारण खाने पीने को लेकर लापरवाही और नींद का कम लेना .. आज से कुछ सुधार किया है . देखते है नयी दिनचर्या का कितना प्रभाव पडता है, आज निलय जी मेरे रूम में शिफ्ट हो गये है, साफ़ सफाई पसंद और व्यवस्थित काम करने के हिमायती , बहुत सी बाते सीखनी है इनसे... तुम्हारा कोटा आना कब हो रहा, जल्दी प्लान बनाओ, बाकी दीपावली पर तुमसे मिलेगे, कही घूमने चलेगे, मिलकर, वेसे मेरा मन था एक बार नौरादेही अभ्यारण घूम आते .. जैसा प्लान बने बताना... रात बहुत हो गयी है बाकी बाते बाद में लड़के ढेर सारा प्यार पहुचे लड़के पीयूष


      
 
मोहन जी की कॉफ़ी पीने के बाद एक शाम होस्टल लौटते हुए आकाश स्वप्निल और मैं

Sunday, October 21, 2018

एक जिगरी को


प्यारे लड़के 
कोटा में हूँ, और मजे में हूँ स्वस्थ और मस्त एकदम, आशा है तुम भी ग्वालियर में स्वस्थ और मस्त होगे,
कल तुमसे फोन पर बात हुई इनमे भविष्य आजीविका और पढाई के बारे में ज्यादा हुई, और जवान होने के बाद ये सवाल ही हमारे जहन को मथ कर रख देते हैं,
कई बार हम जिस रास्ते पर चल रहे होते है उस से एक  दफे तो भटक जाने का मन करता है, जो उस भटकने  के ख्याल को झटक देता है वो मंजिल पर पहुँच जाता है, और जो बापस लौट आता है वो भटकता ही रहता है, कुछ बिरले ही होते है जो वापस लौट कर भी किसी नयी मंजिल को पा लेते हैं. लेकिन उसके लिए हिम्मत चाहिए ढेर सारी....
तुम्हारे घर की परिस्थिति मेरे स छुपी नहीं है, और मैं ये मान कर चल रहा हूँ, पापा के बाद अब तुम्हे घर का दारोमदार सम्हाल लेना चैये, हाँ जिन्दगी में मौज होनी चैये लेकिन जब तक हम किसी एक चिंता से घिरे रहे तब तक हमारे चित्त को ऐसी खुशी नहीं सुहाती, तुमने जिन कारणों से अपनी राह से भटके या तुम्हे ऐसा लगता है की तुम भटक गये , सो मैं इसे भटकन मानता ही नहीं हूँ, ये महज़ एक पड़ाव है जो आमतौर पर हम जैसे लोगो के जीवन में आता है, छात्र जीवन में जिन समस्याओ की छाया से भी दूर रहे , उनका जिम्मेदारियों के रूप में सामने आ पड़ना , बहुत सुखमय अनुभव नहीं होता, लेकिन ये हमे हमारी असलियत दिखा जाती है, दरअसल जिन्दगी भी बड़े इम्तिहान से पहले टेस्ट लेती है, जिससे पता चल जाता है, की हम जिन्दगी के इम्तिहान के लायक है या नहीं... तुम हो मुझे ये पता है..
यार एक बात मुझे हमेशा आशान्वित करती है की . मौका हमेशा रहता है , चाहे कुछ भी हो .बुरी से बुरी पारिस्थितियो में क्यों न हो आप्शन हमेशा हमारे पास होता है, खेर ये तो अभी शुरुआत भर है, अभी भी सब ठीक है अगर तुम इसे और बुरा न बनाना चाहो तो, मुझे विश्वास है तुम ऐसा नहीं चाहते, तो बस शुरू हो जाओ अगली प्लानिंग के लिए,....
जो करो सोच विचारकर करो , कोई काम छोटा बड़ा नहीं लेकिन योग्यता जिसमे ज्यादा उपयोग हो वो करना...
दिन रात एक दुसरे के विपरीत नहीं पूरक हैं , सोचो गर रात न होती हो दिन की महिमा केसे आती और गर दिन ही दिन बना रहता तो हम जैसे आलसी नींद कब लेते, और जो रात ही बनी रहती तो चीजों का मजा हम केसे ले पाते बिना प्रकाश के , ऐसे ही दुःख सुख आते रहते है, पर हम उनसे कितना प्रभावित होते है , ये हमारी शक्ति संकल्प को बताते है, अपने संकल्प को मजबूत करो और लग जाओ मंजिल की तरफ ...
बाकि सोच लो मंजिल कौनसी चुनना है प्रकृति हमेशा संतुलन चाहती है उसे बनके रखो तो तुम्हे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता ..
तो सफ़र अब शुरू होता है
शुभकामनाओ सहित
पीयूष बाबा
गौरझामर     

Sunday, October 7, 2018

नाजिया बुआ के लिए


प्रिय  बुआ, 

मैंने जब ये पत्र लिखना शुरू किया था तब मुझे नहीं पता था की इन पत्रों की क्या परिणति होगी या इनपर लोगो का क्या प्रतिसाद होगा (आज कुछ लोगो को ब्लॉग पर इन पत्रों का इंतज़ार रहता है, ये सच में सबसे ज्यादा ख़ुशी की बात होती है मेरे लिए), पर मुझे शुरुआत में ये पता था की ये कुछ चुनिन्दा लोगो को जरुर लिखूंगा और उन लोगों में आप ऊपर थी, कई रविवार ये विचार बना की आपको लिखा जाए लेकिन फिर टालता गया, लेकिन अब इसे टालना लगभग नामुमकिन है .........

 मैं आजकल कोटा में हूँ, कहते है सबे दिन जात न एक सामान मेरे साथ भी ऐसे ही हुआ, पिछला सप्ताह मेरे लिए थोडा परेशानी भरा था, इतनी सारी खुशियों के बीच अचानक से परेशान करने वाली परिस्थितियों का आ जाना थोडा झटका देता है, इनके साथ भी वही होता परेशानिया भी ज्यादा देर तक नहीं रहती....

कोटा में दिन हमेशा नए होते है, आज की सुबह कल की सुबह से अलग, मैं अक्सर जो सोचता हूँ कई बार हूबहू उसके उलट हो जाता है और कई बार जैसा सोचा था आश्चर्यजनक रूप से बिलकुल हूबहू वही हो जाता है, मैं बस इनमे तालमेल बनाने की कोशिश करता हूँ, कई बार सफल हो जाता हूँ कई बार ओंधे मुँह गिर भी पढता हूँ, लेकिन फिर उठकर तैयार हो जाता हूँ, फिर एक नयी बात सीखने...

एक बात इन दिनों में अच्छी हो गयी, जो किताबे आर्डर की थी वो सब आ गयी और उन्हें पढना शुरू कर दिया, मेरी पढने की  स्पीड घट गयी है, फिर भी विषय अच्छे से समझ आ रहा है, खेर स्पीड कवर करने के चक्कर में पहले विषय छूट जाता थ, अब उस समस्या से निजात मिल गयी है...हाँ ये आपकी ही एक पोस्ट पर पढ़ा था उतना पढो जित्ता पचा सको वर्ना वैचारिक अपच हो जाती है.... अभी आगे के लिए भी किताबें आर्डर करनी है पर कोनसी मुझे नहीं पता बस ये पता है की किताबे पढना जारी रखना है.. सो आप मुझे सुझाये कौनसी किताबें मुझे पढनी चाहिए.. मुझे हल्की फुलकी, गरिष्ट , ज्ञानवर्धक, कथात्मक, गैरकथात्मक सब किताबे पढना पसंद है बजाय मोटिवेशनल किताबो के, मुझे ये दवाई कहानियों से खाना और कहानियों से खिलाना ही पसंद है, सीधे सीधे पढो तो कई बार मैं इनसे खुद को नहीं जोड़ पता इसलिए इन्हें पढने से थोडा दूर रहता हूँ....थोड़े में मुझे वो किताबे पसंद है जो सोचने और सीखने पर जोर दे...
   
आपसे परिचय फेसबुक ग्रुप फुरसतिये से हुआ .. और उस ग्रुप से बेहतरीन लोगो से अलग अलग मिजाज़ और सीरत के लोगो को जाना... कुछ को दोस्त बना लिया कुछ से सीखने लगा और कुछ लोगो का फैन बन गया...यहाँ ये जान लेना आवश्यक है की आपका फैन भी हूँ और आपसे सीखता भी हूँ...

दरअसल मेरे पास आत्मविश्वास था, पर काम कैसे करते है इसमें अपना हाथ बिलकुल लचर था, आपको ग्रुप में काम करते देखकर.. काम करने की ट्रिक को.. किसी को ट्रेकल करने के तरीकों को देखकर काम करना सीखा... आप की लिखी कहनियाँ कई बार बच्चों को सुनाता हूँ...उन्हें खुश देखकर खुद खुश हो लेता हूँ.. और आपको याद कर लेता हूँ...जिन्दगी की कुछ इच्छाओ में एक दिली इच्छा ये है की एक दिन आपसे मिलूँ ...

                          तारीफ़ के मामले में मैं आसान नहीं हूँ लेकिन ये आपका कमाल की हर दफे मुझसे         अपनी तारीफ करवा ले जाती हो...

 कुछ सवाल जो काफी दिनों से मुझे साल रहे थे ..
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१ कोई भी नया लड़का या लड़की जो अभी अभी दुनियादारी(जॉब, व्यापार, शादी) में उतरा हो उसे क्या चीज़े ध्यान में रखनी चाहिए ?
२ लेखन को और चुस्त बनाने के लिए क्या करना चाहिए ?
३ समय को कैसे पूरा उपयोग किया जाए.. या किन चीजों को याद रख अपना समय बचा सकते है ?
४ किसी भी चीज़(पढाई, काम, खेल, या रूचि) पर केन्द्रित कैसे रहें ?


हाजरा, खदीजा और रिबाइल को ढेर प्यार पहुँचे. ढेर सारी शुभकामनाये इन छः जोड़ी सपने भरी चमकती आँखों को ....
                                                                                                                                                                           स्नेहाकांछी
                                                                  पीयूष जैन शास्त्री  
                                                                       गौरझामर
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उन लड़को के लिए जो सपने देखते है

उन लड़को के लिए जो सपने देखते है   आशा है आप सभी स्वस्थ और आनंद में होंगे ,  कुछ दिनों से आप लोगों से कुछ बातें कहनी थी ,  पर आवश्यक कार्यो...