Monday, October 22, 2018

अक्की को

प्रिय आकाश कोटा में हूँ ,और मजे में हमेशा की तरह और जिन्दा तो हैईहैं, आशा है तुम भी जबलपुर में अपनी पढाई करते हुए मजे से होगे और अंकुर भैया की लाते और गालियाँ दोनों खा रहे होगे , मुझे करीब साढ़े तीन महीने कोटा आये हुए हो गये है, और इस दौरान काफी कुछ बातें सीखी और अपनाई , बुरी बातों पर भी ध्यान दिया और अच्छी बातों पर भी ध्यान दिया बुरी बातों पर इसलिए ताकि उनसे बचा जा सके और अच्छी बातों पर इसलिए ताकि उन्हें अपनाया जा सके .... तुम यक़ीनन भाग्यवान हो की तुम्हारे ऊपर कोई बड़ा भाई है, हालाकि छोटे भाई का होना भी मजेदार होता है, पर बड़े पद और नाम के साथ जिम्मेदारी भी बड़ी आती है, लेकिन अच्छा होता है, कोई आपकी अदब करने वाला हो और आपकी सलाहों को अमल में लाने वाला हो, लेकिन बड़ा भाई होना चैये सबका, खेर हम और तुम आसपास के गाँव के है दूरी ३६ किलोमीटर लेकिन मिले कहाँ जयपुर जो हमारे गाँवों से ७०० किलोमीटर दूर है, मुद्दा ये है की हम मिले और दोस्त बने और वो भी पक्के वाले, मुझे लगता है अच्छे दोस्तों के लिए बहुत ज्यादा बातें करने की जरुरत नहीं होती बल्कि आपस की बोन्डिंग और अंडरस्टेंडिंग मायने रखती है, जो हमारे बीच है, मुझे अभी याद है हमारी कनिष्ठ में हाथापाई भी हुई, और तुम्हारी उँगलियों पर मेरे दांतों की अमिट छाप अब भी होगी , ये बाते भी वक्त की रेत में कैद है, जो आज भी इतनी दूरी होने के बावजूद चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी है और तेरे मुंह में गाली ....पिछले बार जब जबलपुर आया था तब लगा नहीं की किसी दोस्त के घर पर हूँ लगा अपने घर में हूँ, अंकुर भैया की हर बात को खोज खोज कर सुनने की आदत के चलते कब १२ बज गये पता ही नहीं चला था, जयपुर में जाने कितनी बार देर रात गाँधी सर्किल पर गप्पे हाकी है और जाने कितनी बार मोहन की कॉफ़ी पीने साथ ही गये, मुझे लगता है , इतनी कॉफ़ी पिलाने के बाद जीवन भर भी तू मुझे कॉफ़ी पिलाये तो भी हमेशा एक कॉफ़ी उधार रहेगी .... आकाश तेरी कुछ खासियतों में एक है, तेरे हँसने की आदत और भावुक होने की आदत, पहले का छोटा शर्मीला लड़का जो अब मस्त और हेंडसम हो गया, समय के साथ चलना बेहतर होता है पर उनमे अपने खुद के सिद्धांतो का पुट हो तो सोने पे सुहागा होता है और संतुष्टि तो साथ मिलती है , यहाँ कोटा में करीब पिछले २ हफ्ते पूरी तरह से बर्बाद हुए कारण खाने पीने को लेकर लापरवाही और नींद का कम लेना .. आज से कुछ सुधार किया है . देखते है नयी दिनचर्या का कितना प्रभाव पडता है, आज निलय जी मेरे रूम में शिफ्ट हो गये है, साफ़ सफाई पसंद और व्यवस्थित काम करने के हिमायती , बहुत सी बाते सीखनी है इनसे... तुम्हारा कोटा आना कब हो रहा, जल्दी प्लान बनाओ, बाकी दीपावली पर तुमसे मिलेगे, कही घूमने चलेगे, मिलकर, वेसे मेरा मन था एक बार नौरादेही अभ्यारण घूम आते .. जैसा प्लान बने बताना... रात बहुत हो गयी है बाकी बाते बाद में लड़के ढेर सारा प्यार पहुचे लड़के पीयूष


      
 
मोहन जी की कॉफ़ी पीने के बाद एक शाम होस्टल लौटते हुए आकाश स्वप्निल और मैं

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