Monday, October 22, 2018

ईहा को (नन्ही परी को)


प्यारी  ईहा


मैं काफी दिनों से सोच रहा था तुम्हे पत्र लिखूं , लेकिन नहीं लिख पाया क्योकि कित्ते सारे लोगो को पत्र लिखना था और थोडा व्यस्त भी था, तुम धीरे धीरे बड़ी हो रही हो, और इस दुनिया को जान रही हो, और सीख रही हो ....बढ़ना और सीखना सबसे मजेदार चीज़े हैं.

जब थोड़ी और बड़ी हो जाओ तो इस ख़त को पढना, तुम्हारी मम्मी इसे तुम्हे समझा देगी. अभी तो तुम बहुत छोटी हो इतनी की पत्र शब्द  का अर्थ समझ में नहीं आएगा, लेकिन थोड़ी बड़ी होने पर इसे तुम पढ़ लोगी और समझदार होने पर इसे समझ लोगी. बहुत सी बातों में पहली बात यह है की मैं कोटा रुक पाया उसमे तुम एक बड़ी वजह हो बच्चे, तुम्हे देखकर हर तकलीफ हवा हो जाती है. दिन का बहुत कम हिस्सा मैं तुम्हारे साथ बिताता हूँ, लेकिन वो मुझे बहुत सारी ऊर्जा  भर देने के लिए बहुत होता है.
तुम अपने माता पिता की दूसरी संतान हो तिस पर लड़की भी, तुमने भारत देश में जन्म लिया आध्यात्मिक और बौद्धिकता वाला देश लेकिन मर्यादाओं से सुरक्षित क्षेत्र में. लेकिन यहाँ लोगों को मर्यादाओं को बंधन बना देने की आदत रही . भारत में दूसरी कन्या का जन्म होना आज भी लोगो को अजीब लगता है. हाँ वही पितृसत्तात्मक सोच और पुरुषों को महान मानने की सोच, तुम्हारी माँ को भी तुम्हारे होने पर ऐसी अजीब निगाहों और तानो के साथ लाचारी भरी फ़िज़ूल की सहानुभूति भरी आँखों के सामने से गुजरना पडा. इससे मैं इस बात से यह कहना चाहता हूँ, की तुम इस बात को सोच कर हमेशा अपने पैर जमीं पर रखते हुए उन्हें गलत साबित करना जो ऐसा सोचते हैं , उन्हें गलत साबित करने करने के लिए नहीं बल्कि उस सोच को गलत साबित करने के लिए की तुम दूसरी लड़की हो और कमजोर होओगी. तुम मजबूत बनना खुद के लिए. क्योंकि तुम मजबूत हो.

तुम भाग्यशाली हो की तुम्हारे पिता जो एक अच्छे प्राचार्य के साथ बेहतरीन इंसान हैं तुम उनकी छाया तले बढ़ रही हो. उनसे सीखना तुम विनम्र रहकर कैसे अपने आप को सही सिद्ध किया जाता है. आपस के लोगों का ख्याल रखा जाता है. छोटी छोटी बातों का ख्याल रखना बड़ी बात होती है. एक शिक्षक के तौर पर वो तुम्हे इतना ही सिखायेगे की बच्चे तुम सीख सकते हो. जब ये विश्वास तुम्हे हो जाएगा तो तुम अपना रास्ता खुद चुन लोगी. किसी भी चीज़ को सीखने के लिये उसमे डुबकी लगाना ही बेहतर उपाय है.
तुम जिस परिवेश में रह रही हो या जिस तरह का माहोल तुम्हे जन्म लेते ही मिल गया वो भारत में रहने वाले चुनिन्दा लोगो को ही हासिल है, इस मौके का अच्छे से दोहन करना. लेकिन तुम सब चीज़े सीखना. अपनी नज़र बड़ी करना, हर चीज़ को विस्तृत द्रष्टिकोण से देखना तब तुम्हे कई फेसले लेने में आसानी होगी.

तुम किसको कितनी वरीयता देती हो ये तुम्हारे जीवन की रूपरेखा तय करेगी , लड़की होना कोई अलग बात नहीं है, आज मौके दोनों को हैं,   पर ये तुम्हे खुद खोजने पड़ेगे .
मौका तुम्हारे पास है की पुराने  बने रास्तों पर चलकर इतिहास में गुम हो जाओ या अपने रास्ते खुद खोजकर एक नया इतिहास रच दो. मुझे लगता है तुम्हे दूसरा चुनना चाहिए.

बड़ा होने के नाते तुम्हे एक बात जरुर कहूँगा की देखि सुनी बातों पर भरोसा तभी करना जब  तुम्हारा दिल इस पर राजी हो. क्योंकि चित्र वही दिखाते है जो हम देखना चाहते हैं... अगर सच देखना हो तो तो सच दिखायेगे और झूठ देखना हो तो झूठ...
अभी तुम डेढ़ साल की हो अपने पेरों पर स्थिर खड़ी हुई तुम्हारे मुंह से चाचा सुनना मुझे बड़ा भाता है .

अपने दिल को पवित्र और अपनी मासूमियत हमेशा बचाए रखना ...

ढेरों शुभकामनाओ और ढेर सारी मुहब्बत के साथ 

तुम्हारा चाचा
पीयूष जैन शास्त्री 
गौरझामर 

2 comments:

  1. बहुत अच्छा लगा ईहा के लिए लिखा हुआ सबसे पहला लेटर

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