Saturday, September 29, 2018

नमिता ताई को

प्रिय
नमिता ताई
बहुत दिनों से कुछ बातों पर गौर करता हूँ तो पाता हूँ की अब बातें और आदतें बदल गयी है, अब सिर्फ हम बचे खालिस पीयूष, थोड़े जिन्दा और थोड़े मजे में
खेर आजकल अपने पास हूँ, खुद को जान रहा हूँ, या इसी कोशिश में लगा हूँ|
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है की आप भी ददरी में पूर्ण स्वस्थ और कुशलता से होगी.....
मेरा कमरा यहाँ के कमरों में सबसे बड़ा है, और सबसे शानदार बात ये है की इसमें एक खिड़की भी है. पहले इसमें कांच की खिड़की के साथ एक जाली लगी हुई थी. घुटन हुई तो चम्मच और पेंचकस की मदद से उस जाली को हटा दिया, और फिर खुली साँस ली....अक्सर रात को कुर्सी लेकर उसी खिड़की से बाहर आसमान और सामने के पेड़ो को निहारता रहता हूँ.. कई बार घंटो.. खुली हवा मुझे सारी चिन्ताओ से मुक्त कर देती है... वास्तव में प्रकृति की हर वास्तु , प्राणी , व्यवस्था , स्थान सबकुछ सुन्दर है, उसमे अगर कही कुछ दोष है तो वह हमारी द्रष्टि और मन में है, निष्पक्ष होकर प्रकृति को देखे या किसी भी चीज़ को देखें तो वह हमेशा सुन्दर ही दिखेगी और खुद को आनन्द से भर देगी ...
हम प्रकृति के नियमो का उल्लंघन कर विकसित होना चाहते है परन्तु ऐसा करके हम अपने लिए ही कांटे वो रहे हैं,, मेहनत, श्रम , परिश्रम , एकाग्रता ये प्रकृति के सिद्धात है और हम प्रकृति से जुड़े रहकर अपना विकास करना चाहते हैं, तो हमे भी इन सिद्धांतो का पालन करना होगा...
साथ ही प्रकृति हर किसी को सुधरने का मौका जरुर देती है, पर सीमा का उल्लंघन करने वालों को अपराध का दंड देकर ही छोडती है ....
हाँ आजकल मेरा रूम बड़ा बिखरा हुआ है, मेरी टेबिल पर किताबों का अम्बार लगा है बेतरतीब बिखरी किताबे और ढेरों कागज, और रोजमर्रा का सामान मसलन शीशा, कंघी, ब्रश , मंजन, पेन, गिलास, चार्जर .. खेर कल ये चीज़े अपने स्थान पर होगी.. दशलक्षण के दौरान बस पढना लिखना ही होता रहा ... नीचे बैठकर पढ़ने वाली चौकी पर ... अब कुर्सी टेबिल पर होगा ..
आजकल जो देश में मचा है .. राजनीति या इससे जुडी चीज़े उनसे एक बात साफ होती है जहाँ उन्माद और अहम डेरा डाले हो वहां श्रेष्ठ विचार किसी मूल्य के नहीं रहते.. शायद इसी कारण देश में असुरक्षा और अविश्वास बढ़ा है...
ये सारी बाते उस छुटकुल वरखा के लिए है
अच्छा लगता है, हर जगह एक सपोर्टर के रूप में देखकर.. आत्मविश्वास को भरना महत्वपूर्ण बात है और आप वही करते हो, और छा जाते हो, इन कुछ चीजों के अलावा कुछ नहीं बहुत बाते बाकि है वो फिर कभी..........
ढेर सारी मुहब्बत के साथ
आपका छोटा
पीयूष




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