रविवार के पत्र सीरीज में लगातार कड़ियां जुड़ती जा रही है और यह सब हो पा रहा है , आप सब पाठकों प्रतिक्रियाओ और ढेर सारे आशीर्वाद से , मुझे आपसे बहुत सारे सुझाव और महत्वपूर्ण सलाहें मिली है ,कोशिश रहेगी की उन पर अमल किया जावे , आप सब पाठकों की प्रतिक्रियाएं उत्साह को बढ़ाने वाली है आप सभी को धन्यवाद , आशा है आगे भी आप ऐसी ही प्रतिक्रियाएं भेजते रहेंगे। धन्यवाद
तो पेश है सीरीज का पांचवा पत्र
प्यारे भाई
आयुष
यहाँ मैं सागर में कुशलता पूर्वक और स्वस्थ हूँ , और आशा है , तुम जयपुर में स्वस्थ रहकर अपनी पढाई अच्छे से कर रहे होगे।
पिछले महीने तुम्हे बुखार आया था ,कुछ दिन पहले भी तुम्हारी यही समस्या थी, तुम बार बार बीमार हो रहे हो , इसके एक काम करना , सवेरे से उठकर लीटर भर पानी और एक नीम्बू का सेवन करो साथ ही सवेरे से जल्दी उठकर थोड़ा व्यायाम भी शुरू करो । इससे तुम्हारे शरीर की गंदगी दूर हो जावेगी और तुम निरोग रहकर अच्छे से पढाई पर ध्यान लगा पाओगे।
आमतौर पर होस्टल में रहने वाले लड़कों और लड़कियों को ये समस्या होती है , उनकी दिनचर्या भोजन व्यवस्थित नहीं हो पाता और उनका शरीर भी इसे स्वीकार नही करता और वे जल्दी बीमार हो जाते हैं इसलिए उन्हें स्वस्थ लिए केवल इतनी जरुरत है , कि वे व्यायाम करते रहें और अपना पेट साफ रखें।
तुम इन बातों का पालन करो तो जल्दी पूर्ण निरोग हो जाओगे और पढाई के साथ स्केच और पियानो भी ढंग से सीख और समझ पाओगे।
बहुत दिनों से तुम्हे कुछ बातें कहनी थी कुछ राज बताने थे , शायद ये सब बातें फोन पर या सीधे न कह पाता , इसलिए इस चिट्ठी का आसरा लिया ।
आयू तुम बढ़ रहे हो सीख रहे हो और आगे के लिए योजनाएं तय कर रहे हो लेकिन इन सब के दौरान कुछ बाते जो अहम है उन्हें हमेशा याद रखो ,, तुम जिस वय में हो उस समय के किये गए कार्य और तुम्हारी सोच तुम्हारे पूरे जीवन की रूपरेखा तय कर देती है इसलिए कोई भी निर्णय लेते वक्त याद रखो इसका असर पूरे जीवन पर पड़ेगा ।
हाँ खानपान , लड़कियाँ , दोस्ती , संगती इन सब जगह इस बात को लगा लेना की आज किये सारी बातें तुम्हारे पूरे जीवन पर असर डालने वाली हैं।
मुझे पता है पापा के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित तुम मुझसे रहे , और मुझे हमेशा अपना आदर्श माना पर यकीन मानो मैं ये कभी नहीं चाहूंगा कि आयुष कभी पीयूष की कॉपी कहलाये , मैं हमेशा से ये चाहता हूँ की मेरा भाई आयुष के नाम से जाना जाये , उसका व्यक्तित्व उसकी तरह बने , मुझ से बेहतर ,, मेरे स्मारक के विदाई समारोह में मैंने एक बात कही थी शायद तुम्हे याद हो , मैंने कहा था सब आज दादा के गीत गा रहे है पर मैं दादा जैसा नई बनना चाहता , मैं पीयूष बनना चाहता हूँ , मैं दूसरा दादा बनने की बजाय पीयूष बनना ज्यादा पसंद करूँगा। ये बात इसलिए नहीं कही की दादा मेरे आदर्श नहीं हैं बल्कि इसलिए कही क्योकि मैं दूसरे के जैसा क्यों बनूँ जब मेरे पास मेरे जैसा बनने का विकल्प हो।
इसलिए तुम भी जो बनना वो भी पहला बनना दूसरा या तीसरा नहीं।
अपनी मौलिकता और अलग छाप वाला व्यक्तित्व कभी मत खोने देना बच्चे।
मैं तुमसे तीन साल बड़ा हूँ , इसलिए तुमसे बहुत ज्यादा अनुभव नई है , पर हां तुमसे थोड़े ज्यादा अनुभव जरूर मेरे पास है, उनके आधार पर कहता हूँ की विद्यार्थी जीवन तुम्हारी सबसे बड़ी उपलब्धि है कॉलेज में पढ़ पाना और उस पर भी एक संस्कारित माहौल में पढ़ना हर किसी को नसीब नहीं होता । हम और तुम भाग्यशाली रहे की हमें एक शानदार माहौल मिला , आज जब पैसे के लिए मारा मारी और चकाचोंध हो रही है उस वक्त हमने अध्यात्म और व्यवहारिकता दोनों के सम्मिश्रण रूप शिक्षा प्राप्त की ,और इस प्रकार का निर्णय यक़ीनन हमारे सबसे बेहतरीन निर्णयों में से एक हैं।
हमेशा यह याद रखो , मायने यह नहीं रखता की , हमारे पास कितने साधन है, मायने ये रखता है कि हम उपलब्ध साधनों का किस तरह इस्तेमाल करते है |
होस्टल में जब हम तुम साथ थे , तब मैं एक कठोर सीनियर की तरह तुमसे पेश आया करता था लेकिन यह तुम्हारे भलाई के लिए था , मैं तुम्हे खुद की मदद करने देना चाहता था , मैं नहीं चाहता था कि मेरा भाई कभी किसी सहायता के लिए किसी की भी तरफ देखे , यहाँ तक की अपने भाई की तरफ भी , बल्कि मैं यह चाहता था कि आयुष इतना सबल बने की उसे कभी किसी की मदद की जरुरत ही न पडे ,, और आखिर तुमने मुझे निराश नहीं किया ।
मैं होस्टल में हफ़्तों तुमसे नहीं मिलता था , पर ऐसा कोई दिन नहीं रहा की तुम्हारी खबर मुझ तक न रही हो।
मैं तुम्हे सुरक्षा के नाम पर बंधन में नहीं सिखाना चाहता था , मेरी दिली तमन्ना थी , तुम स्वतंत्र रहकर उन खतरों के अनुभव लो, जिनसे तुम्हे आगे जीवन जीने में मदद मिले , तुमने उनका सामना भी किया और कसौटी पर खरे निकले।
बस अब कुछ सालों में ही तुम्हारी जिंदगी की परीक्षा शुरू हो जावेगी देखते हैं उसमें क्या कमाल दिखाते हो । हाँ भविष्य की ढेरों शुभकामनाएँ और ढेरों आशीर्वाद तुम्हे।
तुम तुमसे बनो बिलकुल अपनी तरह।
भाई तुमसे बेहद प्यार करता हूँ हमेशा से लव यू था और रहेगा
अपने दिल को हमेशा इतना ही पवित्र बनाये रखना।
बड़ा भाई
पीयूष जैन शास्त्री
👌👌👍👍✌✌
ReplyDeleteLetter is the best way to show our love affection dedication towards our sibling...Or specially brothers...
Gr8 job bhiya
शुक्रिया दोस्त
DeleteKoi sbd nahi hai bolne....bhai ki yad dila di
ReplyDeleteशुक्रिया😊
Deleteबहुत सुंदर पत्र। लेखन चिंतन दोनो जबरदस्त।
ReplyDeleteHighlight की गई नीतियाँ तो इसे अमरत्व प्रदान करती है।
Shukriya mitra
Deleteआपकी सीख तो दिल को छू जाती है पीयूष भैया......आपने जो सीख दी आयुष भी उसको समझे तो ये पत्र सार्थक है बाकी मुझे भी आपसे बहुत सीखने को मिला है या यूँ कहो आपने ही मुझे दिशा दी है लेखन क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए....आपको सहयोग और प्यार के लिए लव यू....
ReplyDelete😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊👍👍👍👍
सुपर😊😊😊😊
लव यू छोटे
Deleteढेर आशीर्वाद
तुम आगे बढ़ो
बाकि तुम मेरे छोटे भाई ही हो 💜💛❤️
Deleteकभी आयु और तुममे भेद नई किया
बहुत अच्छी सीख दी तुमने आयुष को❤️ जीवन में जो करोगे तुम लोग उसका अच्छा बुरा प्रभाव पूरी ज़िंदगी होता है । बड़े भाई का स्थान दोस्त और पिता दोनो का होता है और तुम बख़ूबी निभा रहे।
ReplyDeleteशुक्रिया ताई
ReplyDeleteक्या कहूं पीयूष एक दम बडेब भाइयों वाला ख़त है ये तो हां कभी मुझे भी ऐसे ही लिखना आयूष को मेरा ढेरों आशिर्वाद 😊
ReplyDeleteयहाँ ब्लॉग नाम नई लिखा आता इसलिए आप अपना नाम बताएँ
DeletePiyush ji mene apka ek hi patra pada yah patra jo apne ayush ke liye likha vah itna sundar h ki kuch mat pucho
ReplyDeleteSachme bhut kuch seekh gaya is patra se|
शुक्रिया जित्तू
Deleteसीखते रहने का नाम जिंदगी है बच्चे