Monday, July 27, 2020

उन लड़को के लिए जो सपने देखते है

उन लड़को के लिए जो सपने देखते है  

आशा है आप सभी स्वस्थ और आनंद में होंगेकुछ दिनों से आप लोगों से कुछ बातें कहनी थीपर आवश्यक कार्यों के कारण उन्हे नहीं कह पायालेकिन जब से आपका रिज़ल्ट आया हैतब से वे बातें कह देने का मन और भी ज्यादा होने लगा॰


 “एक बार एक लड़का था उसके बोर्ड के एक्जाम थे उसने भरपूर पढ़ाई कीऔर बाद में उसका अच्छा रिजल्ट आयावह बच्चा बड़ा खुश हुआ उसने मिठाई खाई और खिलायी

वहीं एक दूसरा लड़का था उसने भरपूर पढ़ाई कीबाद में रिजल्ट आने पर उसके अच्छे नंबर नहीं आएयह लड़का बड़ा दुखी हुआइतनी मेहनत की और फिर भी इतने कम नंबर

तीसरे लड़के को सब देखते बेलौस घूमता-फिरतामस्ती करताखेलों के मजे लेताचिंता मानों छू भी नहीं गयी हो,हाँ समय पर पढ़ाई भी करताएक्जाम के बाद में उसका रिजल्ट औसत आयायह लड़का हमेशा की तरह मौज में ही रहामानो कोई बड़ी बात न हुई हो

चौथे लड़के ने पढ़ाई नहीं की और फैल हो गयारिजल्ट आने के बाद वह बड़ा दुखी हुआ”

ये सब आप ही हैंये सब आपके बीच के ही लड़के हैंआप ही की कहानी हैं

 आप क्या हासिल करना चाहते हैंअगर बेहतर चाहते हैंतो मेहनत बहुत करनी पड़ेगीकई बार हो सकता है मेहनत के बाद भी आपका समय नहीं आया हो सकता है पर कर्मठो का भाग्य ज्यादा देर तक रूठा नहीं रह सकताइसलिए मेहनत ही बेहतर का उपाय हैतीसरा एक तरीका हैआप संतुष्ट रहिए और जीवन का आनंद लेते हुए चलिए और औसत परिणामो के साथ भी प्रसन्न रहिएअसफलता का तरीका तो सबको मालूम है ही 

 पर ये कहानियाँ पूरी नहीं हैंये सफलताएँ और असफलतायें स्थायी नहीं हैं। हो सकता है फैल हुआ लड़का कल कोई बड़ी कंपनी खड़ी कर दे और टॉपर उसके नीचे जॉब करे या इसका उल्टा भी हो सकता हैकुल मिलकर ये परिणाम अंतिम हो या आपकी योग्यता का दर्पण हों ऐसा नहीं है , ये आपकी परीक्षाओ के रिज़ल्ट बहुत छोटे हैं आप इनसे कही बड़े हैंआपकी योग्यता इनसे बड़ी हैइतिहास के बहुत उदाहरण हैंखैर नंबर गेम में फंसना ठीक नहीं ।
जब आपके रिज़ल्ट घोषित हुए तब प्रिन्सिपल सर ने कहा इनके नम्बर्स की लिस्ट बनाकर व्हाट्सप मेसेज तैयार करो और ग्रुप में सर्कुलेट करोमैंने कहा भाईसाब मैं मेसेज तो बना देता हूँ पर नंबर एड़ नहीं करूंगाये परंपरा ठीक नहींबेवजह इसमें खुश चार होते दुखी और जलन कितनों को होती। कितने लोग मानसिक दबाब में आ जाते । मुझे कहने में हिचक नहीं की आपके आए रिज़ल्ट से मैं संतुष्ट हूँ ।

पर ये महज नंबर ही तो हैंकम नंबर आने से आप रुकेंगे नहींबल्कि हो सकता है ये आपकी उन्नति की एक सीधी होजैसे कलाम साहब का पायलट की नौकरी न लगना उनके लिए वरदान बनकर आयाअगर वे पायलट हो जाते तो भारत को मिसाइल मेन कहाँ से मिलता ।
फिर आगे की बात कहूँ तो जब हम बीएड कर रहे थे तब टीचर बताते थे कि तुम्हारा ये ज्ञान केवल 30 प्रतिशत काम मे आने वाला है लेकिन तुम्हारा कौशल 70 प्रतिशत तुम्हारी मदद करेगा इसलिए पढ़ाने का कौशल सीखो, रटा हुआ तो कुछ भी काम आने वाला है नहीं, हाँ अनुभव बहुत काम आने वाले हैं
कुछ लड़के ऐसे मिले जिनके नम्बर बहुत अच्छे नहीं आये तो 12वीं के बाद उन्हें पसंदीदा कॉलेज नहीं मिला, उन्होंने हार नहीं मानी और बिजनेस में अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी और आज 24 - 25 की उम्र में सफल बिजनेसमैन हैं.
नम्बर कितने आये ये उतना मायने नहीं रखता जितना मायने रखता है हम विषय के बारे में क्या जानते हैं, कितना समझा है ।
हम नंबर तो पूरे लेकर आये लेकिन असल जीवन में प्रयोग की बात आई तो हम भूल गए, ऐसे में नंबर का क्या महत्व रह जाएगा।
ऐसा नहीं जो टॉपर्स होते हैं वे बाद में कुछ नहीं बनते या विफल हो जाते हैं बल्कि ज्यादातर टॉपर्स अपने जीवन में भी सफल ही होते हैं, पर शुरुआत से टॉप रहने वालों पर अपना खुद का प्रेशर रहता है, 10वीं टॉप किये हैं तो 12 भी टॉप करनी है, पारिवारिक ऊंची अपेक्षाएं ( high expectations), टॉपर अक्सर वो जिंदगी नहीं जी पाते जैसी वे जीना चाहते हैं।
रिजल्ट आ चुका है अपनी फील्ड चुनते वक्त अब बड़ा ध्यान देने की जरूरत है, ,सलाहें खूब लीजिये बस आप अपने निर्णय स्वयं लीजिये और आगे के लिए अपने आप को मजबूत कीजिये, आपके किये गए संघर्ष आपको तपे सोने सा निखार देंगे।

आप सभी को आपके आये रिज़ल्ट की बहुत बधाईआगे अभी लंबी लड़ाई के लिए बहुत शुभकामनाएं मेरे दोस्तो

पीयूष शास्त्री

 

  

 


Friday, January 4, 2019

दीपाली को पत्र


प्यारी लड़की
दीपाली

ख़ुशी के साथ बीतते दिन और हम दोनों ही कुशलता से हैं, आशा ही नहीं पूरा विश्वास है तुम भी बिलकुल स्वस्थ, व्यस्त और मस्त होगी, तुम्हे इस रविवार को पत्र लिखना था लेकिन व्यस्तता के कारण २ दिन लेट हो गया, खैर जब जब जागो तब रविवार और रविवार का पत्र.....

नया साल आ गया है, मुझे हर नए साल पर वोई पुराना गाना याद आता है, देखो टू थाऊजन जमाना आ गया,  मिलके जीने का बहाना आ गया| जबकि २०१९ आ चुका है पर मैं आज भी २००० पर ही अटका हूँ|

मुझे नया साल पसंद है, इसलिए नहीं की इसे मनाने का चलन है या सब इसे मानते है, बल्कि इसलिए क्योंकि ये मुझे ख़ुशी देता है, नयेपन की, दरअसल मुझे हर वो त्यौहार पसंद है जो मुझे ख़ुशी से भर दे...

दीपाली तुमसे पहचान fb के जरिये हुई, fb की उपलब्धि में एक तुम हो, मुझे उलझे व्यक्तित्व आकर्षित करते हैं और सुलझे व्यक्तित्व प्रभावित करते हैं, तुम सुलझी वाली केटेगिरी से हो इसलिए तुम्हे दोस्त बना लिए और तुमसे सीखता रहता हूँ, साफ सफ्फाक लोग सही लगते हैं, हमको |

तेज हवा के झोंके बस की खिड़की से आते हैं, और चेहरे से भिड जातें हैं, और चेहरे के साथ हमारा पूरा जिस्म सिहर उठता है, हम कुछ देर यूँ ही सिहरते रहते हैं फिर हमारा शरीर इसका अभ्यस्त हो जाता है, कुछ देर बाद हमे उस हवा में मजा आने लगता है, वस्तुतः प्रकृति का आनंद उसमे डूबकर ही लिया जा सकता है, हम प्रत्येक चीज़ को सूक्ष्मता से देखें, जाने... और उसे महसूस करें , पेड़ों के ऊपर चढ़ें, फूलों को निहारें, पानी में कूंदे और उसे महसूस मन अपने आप खुश हो जायेगा, हम किसी चीज़ का आनंद बाहर से लेना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करके हम केवल अपनी परछाईं पानी डालते हैं और सोचते हैं हमने नहा लिया| प्रकृति आपको खुश देखना चाहती है , जरुरत भर इतनी है की तुम उसे समझ लो.....

मुझे आजकल अलग अलग विचार आते हैं, कभी एकदम पुराने ज़माने में चला जाता हूँ कभी एकदम मॉडर्न ज़माने से सोचने लगता हूँ, पुराने और नए का द्वंद्व पीछा ही नहीं छोड़ता, चूँकि मैं निष्कर्ष पर जल्दी नहीं पहुँचता, इसलिए द्वंद्व ख़त्म हो गया इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा, हां पुराने नए में सामंजस्य बनाने का समर्थक हूँ,

शुरुआत हर योजना की सबसे पहले मन में होती है, उसे बाद में वास्तविकता के धरातल पर उतारा जाता है, जिनमे से कुछ योजनायें मन में रह जाती हैं और कुछ ही कार्यान्वित हो पाती हैं, किसी योजना को कार्यान्वित करने  के लिए उसके प्रति विश्वास जरुरी है ९० प्रतिशत काम विश्वास से निपट जाता है, अब जो काम समय लगेगा प्रोसेस में लगने वाला है,....काम तो पूरा हो चुका .....
पहले के लोग शारीरिक  मेहनत में यकीं रखते थे  इसका मतलब यह कतई नहीं है, कि वे बुद्धिमान नहीं थे, बेशक वे बुद्धिमान थे लेकिन वे बुद्धि और शरीर में सामंजस्य बिठाकर रखते थे और दीर्घायु जीते थे, वो भी निरोगी और सुखी रहकर, चिंता मुक्त होकर| वे बुद्धि का इकतरफा प्रयोग नहीं करते थे, क्योंकि वे जानते थे की बुद्धि का इकतरफा प्रयोग आगे चलकर बुराई को ही जन्म देगा |

सिद्धांत बने रहे भले  परिस्थितियाँ बदलती रहें, आजकल लोग परिस्थितियों के अनुसार अपने सिद्धांत बनाते हैं, मुझे ये पसंद नहीं....

खैर सीखना बंद कभी नहीं करना, ये बड़ी बात है... हाँ अपने अन्दर के बच्चे को जीवित रखो, वो तुम्हे जिन्दा बनाये रखेगा /.....

अपने हिस्से की कहानी ढूंढो और उसका मुख्य किरदार बनो लड़की 

ढेर सारे प्यार सहित
छोटा भाई 
पीयूष जैन शास्त्री
 
दीपाली 





Tuesday, November 27, 2018

इकतीस जोड़ी आंखों के लिए


इकतीस जोड़ी आंखों के लिए

प्रिय छोटे भाइयो,

हम सब को साथ रहते हुए करीब 4 महीने होने जा रहे हैं , जुलाई सेशन से मैं कोटा आया था, आपका शिक्षक बनकर, आपका अधीक्षक बनकर ।
मैंने इन 4 महीनो में बहुत सीखा है, ढेरों अनुभव लिए हैं, उनमें दोनों प्रकार के अनुभव शामिल हैं, अच्छे बुरे सब ।

जिंदगी भी तो इसी का नाम है, काम करो गलतियाँ जो हों उनसे सीख लेकर उन्हें सुधारो और आगे बढ़ो।

शुरुआत में सब डरे होते हैं, तुम लोग भी डरे थे, नयी जगह पर शुरू में सबका ऐसा ही हाल होता है, हम नयी जगह पर जाते है, हमें अनजाना भय लगा रहता है, कुछ समय बीतता है, हम उस जगह को जानने लगते हैं, और फिर हमारा डर भी निकल जाता है, ऐसा ही तो है, हमे डर लगता है तो हम उसे जाने अच्छे से जाने तो हमारा भय , डर दूर चला जाता है, हम जिस चीज़ को समझने से भागते रहेगे हम डरते रहेगे और हम जैसे ही उसे जान लेंगे तो हमारा भय चला जायेगा।
आमतौर पर लोगों को धर्म या उससे जुड़ी चीज़ों से डर क्यों लगता है, या धर्म के नाम पर लोगों को आसानी से डराया कैसे जाता है, इसका सीधा जबाब है उन्हें धर्म के बारे में पता ही नहीं होता, और धर्म के नाम पर ठगने वाले उनके उसी न जानने के डर का फायदा उठाकर उन्हें मूर्ख बनाते रहते है, भारत में आज सबसे ज्यादा धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाया जाता है, और केवल ये इसलिए संभव हो पाता है, क्योंकि लोगों को धर्म के बारे में कुछ भी नहीं पता होता । इसलिए तुम लोग खूब जिज्ञासु बनो और खूब सारे अनुभव लो जिससे तुम्हारा डर खत्म हो जाये और आत्मविश्वास बढे।
आत्मविश्वास ये कमाल का शब्द है, थोड़े शब्दों में कहूँ तो ये वो शक्ति है जो हर काम के लिए जरुरी है, अगर ये आपके पास नहीं है तो आप काम नहीं कर पाएंगे या उसे बीच में ही छोड़ देंगे।
इसलिए डरने की बजाय आत्मविश्वास जगाएँ और ये तभी होगा जब आप उस विषय को अच्छे से जान लेगें। आत्मविश्वास से लबरेज़ व्यक्ति कुछ भी कर सकता है।

दूसरी बात जब हम सीखते हैं, तो जो चीज़ हमें सीखने के लायक बनाती है, वह विशेषता है, विनम्रता,विनय । संस्कृत के एक छन्द के एक पद में लिखा है विनयात् याति पात्रताम् मतलब विनय से पात्रता(योग्यता) आती है, पात्रता मतलब हम उस लायक हैं, या नहीं। जैसे शेरनी का दूध स्वर्ण के बर्तन में ही टिकता है, वैसे ही हमारा सीखना भी विनय नाम के पात्र होने पर ही हमारे पास रह पाता है, इसलिए चाहे कुछ भी हो विनम्रता नहीं छोड़ना, कई बार ऐसा भी होगा की आपको लगेगा कि बड़े विनय करने योग्य नहीं है,  ये उनकी समस्या है, की वो उस योग्य न बने, लेकिन उनकी अविनय करके तुम उनका बुरा नहीं बल्कि अपने आपको बुरा बना रहे होंगे। इसलिए विनय  और विनम्रता का दामन थामे रखना।

तीसरी बात जो मेरे गुरू जी ने जो हमें बतायी थी वो यह की अपने माता-पिता-गुरुओं से पारदर्शिता रखना, जीवन में समस्याएं सबको आती हैं, । माता-पिता-गुरुजन से पारदर्शिता बनाये रखने वाले अक्सर उन समस्याओं से उबर जाते हैं, हमारी शारीरिक, मानसिक चीज़ों के बारे में, छोटी छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातों को अपने माता-पिता या गुरुजनों से साँझा (शेयर) जरूर करें। इससे आपका उनपर आपका और उनका आपके प्रति विश्वास बना रहेगा।

राहुल सांस्कृतायन नाम के एक बड़े हिन्दी के विद्वान हुए उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के दीक्षांत भाषण जो बेहद संछिप्त था में एक बात कही थी, की डिग्री बताती हैं,कि आपने अभी पढ़ना सीखा है, अब पढाई पूरे जीवन भर करनी है, जब आप सायकिल चलाना सीख लेते हैं तो आप सायकिल चलाना छोड़ नहीं देते बल्कि उसका प्रयोग जीवन भर करते रहते हैं, ऐसे भी आप गर सीखते कैसे है? ये सीख गये हैं, तो जीवन भर इसका प्रयोग करते रहे मतलब सीखते रहे अनवरत, हमेशा।

एक कुंजी के बारे में बताता हूँ और वह कुंजी है, निरंतरता । हम छोटी छोटी चीज़े लगातार करते रहें तो एकदिन वह ही बड़ा भारी काम हो जाता है, लेकिन निरंतरता नहीं टूटनी चाहिए, इस संदर्भ में तुम लोग कभी शोशेन्क रिडम्पशन नाम की हॉलीवुड मूवी देखना । तुम्हे पता चलेगा छोटी चीज़ धैर्य से करते रहने का फल कित्ता मीठा और शानदार होता है।

चलो आखिरी बात बताता हूँ, जब बालक पढ़ने के लिए स्कूल छात्रावास में आते हैं, तब सब अपने अपने ग्रुप ढूढ़ लेते , जो पढाई करने वाले होते वो पढाई करने वालों को ढूंढ लेते, शैतान बच्चे शैतान बच्चों का ग्रुप ढूंढ लेते हैं,जो औसत होते हैं वो औसत का ग्रुप। अगर कभी अपना आँकलन करना हो हम कैसे बनने जा रहे तो अपने ग्रुप को देख लेना। आपको सही जबाब मिल जायेगा।
आप सभी को भविष्य की बहुत शुभकामनाएँ।

आपका बड़ा भाई
पीयूष जैन शास्त्री



Sunday, October 28, 2018

बुआ का ख़त

प्रिय पीयूष,
हम यहाँ ख़ैरियत से हैं और आपकी, आपके अहलो अयाल की ख़ैरियत ख़ुदावन्द करीम से नेक चाहते हैं।
पता नहीं कितने सालों बाद ख़त का यह शुरुआती मज़मून लिखा है, टाइप तो पहली ही बार किया है। आख़िरी ख़त 2005 में तुम्हारे फूफाजी(अब यही कहेंगे न, बुआ बना लिया है तो) का आया था। अत्यंत महंगे कॉल रेट और पूरी बैच में एकमात्र मोबाइलधारक होने के गर्व के दौर में हर हफ़्ते ख़त लिखा करते थे। उसके बाद तुम्हारा यह ख़त पाकर आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई.…
..
हममें बहुत सी बातें कॉमन हैं, पढ़ने का शौक, बल्कि पैशन। और मोटिवेशनल, सेल्फ हेल्प किताबें पढ़ने की अनिच्छा, किस्से कहानियों कल्पनाओं के शौकीन। किताबें समय समय पर सजेस्ट करते रहेंगे हम एक दूसरे को, पहले तुम्हारे सवालों के जवाब दे दूं। तुमने इतने भारी सवालों के लायक़ समझा यह तुम्हारा प्यार और सम्मान है वरना मैं ख़ुद भी अभी सीख समझ और जूझ ही रही हूँ।
1. कोई भी इंसान जॉब, व्यापार, शादी में नया नया उतरा है उसे क्या करना चाहिये?
हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है कि 20-25 साल तक तो बच्चे पैरासाइट की तरह मां बाप से चिपटे रहते हैं, फिर अचानक से एक दिन उनको पता लगता है आज रिज़ल्ट आ गया है/डिग्री मिल गयी है कल से कामधाम शुरू करना है जबकि विदेशों में स्कूल टाइम से ही हुनर सिखाते हैं हाईस्कूल पूरा करते करते बच्चे स्वावलम्बी बन जाते हैं। इसलिये अभी तो पढ़ रहा है/रही है वाले एक्सक्यूज़ न देकर लगे हाथों किसी न किसी हुनर में हाथ आज़माना आगे का रास्ता आसान कर देता है।
जॉब या व्यापार है और दिल का नहीं है, पसन्द नहीं है तो उसमें कूदने के बजाय थोड़ा ब्रेक ले लो, दुनिया घूम लो, दुनिया नहीं तो देश तो कम से कम, काम की नब्ज़ पकड़ो समझो डिमांड सप्लाय का सायकल देखो। यक़ीन मानना ज़िन्दगी बर्बाद करने से एक साल बर्बाद करना बेटर चॉइस है। इंटरनेट का भरपूर सही इस्तेमाल करो तब व्यापार जॉब में कूदो। पब्लिक रिलेशन पर ख़ास ध्यान दो, जितना इंटरेक्टिव और मिलनसार रहोगे उतना अच्छा होगा पर बेवकूफ़ या भावुक नहीं, प्रेक्टिकल।ख़ासतौर से पैसों के मामले में 'किसी पर भी' अंधविश्वास नहीं करना। क्वालिटी और ईमानदारी पर टिके रहोगे तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। अपनी क्षमताएं और सीमाएं भी पहचानना ज़रूरी है और




उनको निरन्तर बढाते जाना।
शादी का ऐसा है सब कहते हैं प्यार अंडरस्टेंडिंग, कॉम्पेटिबिलिटी मैं भी कुछ अलग नहीं बता रही। बस विश्वास सबसे बड़ी चीज़ है। प्यार का स्वरूप वक़्त के साथ बदल जाता है, तूफानी होता है, भँवर, मंझधार में फंसता है, बरसता है, तपता है सूखता, झरने जैसा बहता है फिर शांत झील जैसा जिसमें समय समय पर पत्थर पड़ते हैं तरंगे उठती हैं, पर एक दूसरे पर विश्वास है तो सारी फेज़ गुज़रती चली जाती हैं। कभी उसके पास्ट के लिये प्रेज़ेंट या फ्यूचर में ताने टोचे मत मारना। उसके साथ रहो जिसके बिन नहीं रह सकते। अंडरस्टेंडिंग बनते बनते बनती है बिगड़ती है फिर बनती है। सुंदरता फ़ानी है पल पल क्षीण होती है शरीर की तरह, शीर्यते इति शरीरं.... जिसका पल पल क्षरण हो वही तो शरीर है इसलिये जैसा कि हमेशा कहती हूँ जहां मोहब्बत पतली होती है ऐब मोटे लगने लगते हैं। प्यार होता है तो कमियां चुभती नहीं। अगर किसी को यह सोचकर चुनो कि अपने प्यार से उसमें बदलाव ले आओगे, तो मत चुनो। जो जैसा है उसकी तमाम कमियों खूबियों सहित अपना सकते हो तो ही आगे बढ़ो। और कुछ अपेक्षा मत करो। हालांकि होता यह है कि अपने लव्ड वन को हम अपने जीवन का केंद्र बनाकर सारी अपेक्षाएं लगा लेते हैं, पर लीस्ट एक्सपेक्टेशंस रखोगे तो पूरी न होने पर दुखी न होगे और उम्मीद से ज़्यादा या उतना भर भी मिल गया तो बोनस वाली खुशी अलग। अपने लिये परिवार के लिये आया, केयरटेकर, मम्मी बनाकर मत लाओ, अपने ही जैसा नॉर्मल इंसान समझो अगर उसकी जगह तुम किसी अनजान जगह अजनबी लोगों के बीच रहते तो कैसे डील करते इस बात को ध्यान में रखते हुए जज करना। बहुत बड़ा टॉपिक है समय समय पर डिस्कस करेंगे।

2.लेखन को चुस्त बनाने के लिये क्या करना चाहिये?
पढ़ना पढ़ना पढ़ना और पढ़ना। बिन अच्छा पढ़े अच्छा लिखा नहीं जा सकता और बुरा क्या होता है क्या नहीं लिखना है यह भी पता चलता है। पर उस पढ़े हुए को सही जगह सही समय पर इम्प्लिकेट करना भी आना चाहिये नहीं तो गधे पर किताबें या तोता रण्टन वाली कहानी बन जाती है। साथ ही आँख कान दिमाग़ हमेशा खुला रखना, मैटर तो 24 घण्टे हमारे सामने है, उसे शब्दों में ही तो ढालना है, और शब्द समृद्ध होंगे पढ़ाई से....
साथ ही उपयोगी पढ़ना भी ज़रूरी है नहीं तो समय नष्ट होगा। हमारे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दुआ किया करते थे या अल्लाह मुझे नफ़ा हासिल करने वाला इल्म अता कर। ऐसा ज्ञान जिससे कोई फ़ायदा हो सके। नुक़सान या अनुपयोगी नहीं।

3. समय का सदुपयोग कैसे करें?
इस पर तो ग्रन्थ पर ग्रन्थ लिखे जा चुके हैं। मैं इतना ही कहूँगी प्रायोरिटी डिसाइड करो। लिस्ट बनाओ। चेकलिस्ट भी उद्देश्यों और लक्ष्यों की भी। लिखने से काम 4 गुना तेज़ी से निपटता है। क्योंकि दिमाग़ में एक स्पष्ट तस्वीर होती है क्या करना है। फिर बचे समय को अपने हिसाब से यूज़ करो। टाइम मैनेजमेंट और मल्टी टास्किंग टिप्स को आज़माते रहो। हमेशा हर काम में परफेक्शन मत तलाशो, जो काम कोई और या स्टाफ कर सकता हो उसमें अपनी समय और ऊर्जा मत खपाओ। क्रिएटिविटी पर फोकस रखो।

4. पढाई, काम, खेल रुचि पर केंद्रित कैसे रहें।
पहली बात मन का हो तो मन लगा ही रहता है। दूसरी बात, दिमाग़ किसी भी एक टॉपिक पर औसतन 45 मिनट बढ़िया तरीके से कॉंसेन्ट्रेट कर सकता है फिर फोकस हटने लगता है। इसलिये हर काम से थोड़ा थोड़ा ब्रेक लेते रहो। टाइमटेबल नहीं परफॉर्मेंस टेबल बनाओ इतने घण्टे यह सब्जेक्ट पढ़ना है की बजाय आज इतने टॉपिक कम्प्लीट करना है ऐसा टारगेट बनाओ। टारगेट जल्दी पूरा हो जाए तो अगला टॉपिक उठा लेने की बजाय खुद को ईनाम दो, घूमने निकल जाओ दोस्तों से मिल आओ, खेल खेलो। खुद को एप्रिशिएट करना भी आना चाहिये।
मुझे लगता है पत्र से बड़ा और बोरिंग उत्तर हो गया है इसलिये आज के लिये इतना ही.... उम्मीद है सिलसिला जारी रहेगा।
ख़ूब प्यार और दुआएं.....




Monday, October 22, 2018

ईहा को (नन्ही परी को)


प्यारी  ईहा


मैं काफी दिनों से सोच रहा था तुम्हे पत्र लिखूं , लेकिन नहीं लिख पाया क्योकि कित्ते सारे लोगो को पत्र लिखना था और थोडा व्यस्त भी था, तुम धीरे धीरे बड़ी हो रही हो, और इस दुनिया को जान रही हो, और सीख रही हो ....बढ़ना और सीखना सबसे मजेदार चीज़े हैं.

जब थोड़ी और बड़ी हो जाओ तो इस ख़त को पढना, तुम्हारी मम्मी इसे तुम्हे समझा देगी. अभी तो तुम बहुत छोटी हो इतनी की पत्र शब्द  का अर्थ समझ में नहीं आएगा, लेकिन थोड़ी बड़ी होने पर इसे तुम पढ़ लोगी और समझदार होने पर इसे समझ लोगी. बहुत सी बातों में पहली बात यह है की मैं कोटा रुक पाया उसमे तुम एक बड़ी वजह हो बच्चे, तुम्हे देखकर हर तकलीफ हवा हो जाती है. दिन का बहुत कम हिस्सा मैं तुम्हारे साथ बिताता हूँ, लेकिन वो मुझे बहुत सारी ऊर्जा  भर देने के लिए बहुत होता है.
तुम अपने माता पिता की दूसरी संतान हो तिस पर लड़की भी, तुमने भारत देश में जन्म लिया आध्यात्मिक और बौद्धिकता वाला देश लेकिन मर्यादाओं से सुरक्षित क्षेत्र में. लेकिन यहाँ लोगों को मर्यादाओं को बंधन बना देने की आदत रही . भारत में दूसरी कन्या का जन्म होना आज भी लोगो को अजीब लगता है. हाँ वही पितृसत्तात्मक सोच और पुरुषों को महान मानने की सोच, तुम्हारी माँ को भी तुम्हारे होने पर ऐसी अजीब निगाहों और तानो के साथ लाचारी भरी फ़िज़ूल की सहानुभूति भरी आँखों के सामने से गुजरना पडा. इससे मैं इस बात से यह कहना चाहता हूँ, की तुम इस बात को सोच कर हमेशा अपने पैर जमीं पर रखते हुए उन्हें गलत साबित करना जो ऐसा सोचते हैं , उन्हें गलत साबित करने करने के लिए नहीं बल्कि उस सोच को गलत साबित करने के लिए की तुम दूसरी लड़की हो और कमजोर होओगी. तुम मजबूत बनना खुद के लिए. क्योंकि तुम मजबूत हो.

तुम भाग्यशाली हो की तुम्हारे पिता जो एक अच्छे प्राचार्य के साथ बेहतरीन इंसान हैं तुम उनकी छाया तले बढ़ रही हो. उनसे सीखना तुम विनम्र रहकर कैसे अपने आप को सही सिद्ध किया जाता है. आपस के लोगों का ख्याल रखा जाता है. छोटी छोटी बातों का ख्याल रखना बड़ी बात होती है. एक शिक्षक के तौर पर वो तुम्हे इतना ही सिखायेगे की बच्चे तुम सीख सकते हो. जब ये विश्वास तुम्हे हो जाएगा तो तुम अपना रास्ता खुद चुन लोगी. किसी भी चीज़ को सीखने के लिये उसमे डुबकी लगाना ही बेहतर उपाय है.
तुम जिस परिवेश में रह रही हो या जिस तरह का माहोल तुम्हे जन्म लेते ही मिल गया वो भारत में रहने वाले चुनिन्दा लोगो को ही हासिल है, इस मौके का अच्छे से दोहन करना. लेकिन तुम सब चीज़े सीखना. अपनी नज़र बड़ी करना, हर चीज़ को विस्तृत द्रष्टिकोण से देखना तब तुम्हे कई फेसले लेने में आसानी होगी.

तुम किसको कितनी वरीयता देती हो ये तुम्हारे जीवन की रूपरेखा तय करेगी , लड़की होना कोई अलग बात नहीं है, आज मौके दोनों को हैं,   पर ये तुम्हे खुद खोजने पड़ेगे .
मौका तुम्हारे पास है की पुराने  बने रास्तों पर चलकर इतिहास में गुम हो जाओ या अपने रास्ते खुद खोजकर एक नया इतिहास रच दो. मुझे लगता है तुम्हे दूसरा चुनना चाहिए.

बड़ा होने के नाते तुम्हे एक बात जरुर कहूँगा की देखि सुनी बातों पर भरोसा तभी करना जब  तुम्हारा दिल इस पर राजी हो. क्योंकि चित्र वही दिखाते है जो हम देखना चाहते हैं... अगर सच देखना हो तो तो सच दिखायेगे और झूठ देखना हो तो झूठ...
अभी तुम डेढ़ साल की हो अपने पेरों पर स्थिर खड़ी हुई तुम्हारे मुंह से चाचा सुनना मुझे बड़ा भाता है .

अपने दिल को पवित्र और अपनी मासूमियत हमेशा बचाए रखना ...

ढेरों शुभकामनाओ और ढेर सारी मुहब्बत के साथ 

तुम्हारा चाचा
पीयूष जैन शास्त्री 
गौरझामर 

अक्की को

प्रिय आकाश कोटा में हूँ ,और मजे में हमेशा की तरह और जिन्दा तो हैईहैं, आशा है तुम भी जबलपुर में अपनी पढाई करते हुए मजे से होगे और अंकुर भैया की लाते और गालियाँ दोनों खा रहे होगे , मुझे करीब साढ़े तीन महीने कोटा आये हुए हो गये है, और इस दौरान काफी कुछ बातें सीखी और अपनाई , बुरी बातों पर भी ध्यान दिया और अच्छी बातों पर भी ध्यान दिया बुरी बातों पर इसलिए ताकि उनसे बचा जा सके और अच्छी बातों पर इसलिए ताकि उन्हें अपनाया जा सके .... तुम यक़ीनन भाग्यवान हो की तुम्हारे ऊपर कोई बड़ा भाई है, हालाकि छोटे भाई का होना भी मजेदार होता है, पर बड़े पद और नाम के साथ जिम्मेदारी भी बड़ी आती है, लेकिन अच्छा होता है, कोई आपकी अदब करने वाला हो और आपकी सलाहों को अमल में लाने वाला हो, लेकिन बड़ा भाई होना चैये सबका, खेर हम और तुम आसपास के गाँव के है दूरी ३६ किलोमीटर लेकिन मिले कहाँ जयपुर जो हमारे गाँवों से ७०० किलोमीटर दूर है, मुद्दा ये है की हम मिले और दोस्त बने और वो भी पक्के वाले, मुझे लगता है अच्छे दोस्तों के लिए बहुत ज्यादा बातें करने की जरुरत नहीं होती बल्कि आपस की बोन्डिंग और अंडरस्टेंडिंग मायने रखती है, जो हमारे बीच है, मुझे अभी याद है हमारी कनिष्ठ में हाथापाई भी हुई, और तुम्हारी उँगलियों पर मेरे दांतों की अमिट छाप अब भी होगी , ये बाते भी वक्त की रेत में कैद है, जो आज भी इतनी दूरी होने के बावजूद चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी है और तेरे मुंह में गाली ....पिछले बार जब जबलपुर आया था तब लगा नहीं की किसी दोस्त के घर पर हूँ लगा अपने घर में हूँ, अंकुर भैया की हर बात को खोज खोज कर सुनने की आदत के चलते कब १२ बज गये पता ही नहीं चला था, जयपुर में जाने कितनी बार देर रात गाँधी सर्किल पर गप्पे हाकी है और जाने कितनी बार मोहन की कॉफ़ी पीने साथ ही गये, मुझे लगता है , इतनी कॉफ़ी पिलाने के बाद जीवन भर भी तू मुझे कॉफ़ी पिलाये तो भी हमेशा एक कॉफ़ी उधार रहेगी .... आकाश तेरी कुछ खासियतों में एक है, तेरे हँसने की आदत और भावुक होने की आदत, पहले का छोटा शर्मीला लड़का जो अब मस्त और हेंडसम हो गया, समय के साथ चलना बेहतर होता है पर उनमे अपने खुद के सिद्धांतो का पुट हो तो सोने पे सुहागा होता है और संतुष्टि तो साथ मिलती है , यहाँ कोटा में करीब पिछले २ हफ्ते पूरी तरह से बर्बाद हुए कारण खाने पीने को लेकर लापरवाही और नींद का कम लेना .. आज से कुछ सुधार किया है . देखते है नयी दिनचर्या का कितना प्रभाव पडता है, आज निलय जी मेरे रूम में शिफ्ट हो गये है, साफ़ सफाई पसंद और व्यवस्थित काम करने के हिमायती , बहुत सी बाते सीखनी है इनसे... तुम्हारा कोटा आना कब हो रहा, जल्दी प्लान बनाओ, बाकी दीपावली पर तुमसे मिलेगे, कही घूमने चलेगे, मिलकर, वेसे मेरा मन था एक बार नौरादेही अभ्यारण घूम आते .. जैसा प्लान बने बताना... रात बहुत हो गयी है बाकी बाते बाद में लड़के ढेर सारा प्यार पहुचे लड़के पीयूष


      
 
मोहन जी की कॉफ़ी पीने के बाद एक शाम होस्टल लौटते हुए आकाश स्वप्निल और मैं

Sunday, October 21, 2018

एक जिगरी को


प्यारे लड़के 
कोटा में हूँ, और मजे में हूँ स्वस्थ और मस्त एकदम, आशा है तुम भी ग्वालियर में स्वस्थ और मस्त होगे,
कल तुमसे फोन पर बात हुई इनमे भविष्य आजीविका और पढाई के बारे में ज्यादा हुई, और जवान होने के बाद ये सवाल ही हमारे जहन को मथ कर रख देते हैं,
कई बार हम जिस रास्ते पर चल रहे होते है उस से एक  दफे तो भटक जाने का मन करता है, जो उस भटकने  के ख्याल को झटक देता है वो मंजिल पर पहुँच जाता है, और जो बापस लौट आता है वो भटकता ही रहता है, कुछ बिरले ही होते है जो वापस लौट कर भी किसी नयी मंजिल को पा लेते हैं. लेकिन उसके लिए हिम्मत चाहिए ढेर सारी....
तुम्हारे घर की परिस्थिति मेरे स छुपी नहीं है, और मैं ये मान कर चल रहा हूँ, पापा के बाद अब तुम्हे घर का दारोमदार सम्हाल लेना चैये, हाँ जिन्दगी में मौज होनी चैये लेकिन जब तक हम किसी एक चिंता से घिरे रहे तब तक हमारे चित्त को ऐसी खुशी नहीं सुहाती, तुमने जिन कारणों से अपनी राह से भटके या तुम्हे ऐसा लगता है की तुम भटक गये , सो मैं इसे भटकन मानता ही नहीं हूँ, ये महज़ एक पड़ाव है जो आमतौर पर हम जैसे लोगो के जीवन में आता है, छात्र जीवन में जिन समस्याओ की छाया से भी दूर रहे , उनका जिम्मेदारियों के रूप में सामने आ पड़ना , बहुत सुखमय अनुभव नहीं होता, लेकिन ये हमे हमारी असलियत दिखा जाती है, दरअसल जिन्दगी भी बड़े इम्तिहान से पहले टेस्ट लेती है, जिससे पता चल जाता है, की हम जिन्दगी के इम्तिहान के लायक है या नहीं... तुम हो मुझे ये पता है..
यार एक बात मुझे हमेशा आशान्वित करती है की . मौका हमेशा रहता है , चाहे कुछ भी हो .बुरी से बुरी पारिस्थितियो में क्यों न हो आप्शन हमेशा हमारे पास होता है, खेर ये तो अभी शुरुआत भर है, अभी भी सब ठीक है अगर तुम इसे और बुरा न बनाना चाहो तो, मुझे विश्वास है तुम ऐसा नहीं चाहते, तो बस शुरू हो जाओ अगली प्लानिंग के लिए,....
जो करो सोच विचारकर करो , कोई काम छोटा बड़ा नहीं लेकिन योग्यता जिसमे ज्यादा उपयोग हो वो करना...
दिन रात एक दुसरे के विपरीत नहीं पूरक हैं , सोचो गर रात न होती हो दिन की महिमा केसे आती और गर दिन ही दिन बना रहता तो हम जैसे आलसी नींद कब लेते, और जो रात ही बनी रहती तो चीजों का मजा हम केसे ले पाते बिना प्रकाश के , ऐसे ही दुःख सुख आते रहते है, पर हम उनसे कितना प्रभावित होते है , ये हमारी शक्ति संकल्प को बताते है, अपने संकल्प को मजबूत करो और लग जाओ मंजिल की तरफ ...
बाकि सोच लो मंजिल कौनसी चुनना है प्रकृति हमेशा संतुलन चाहती है उसे बनके रखो तो तुम्हे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता ..
तो सफ़र अब शुरू होता है
शुभकामनाओ सहित
पीयूष बाबा
गौरझामर     

उन लड़को के लिए जो सपने देखते है

उन लड़को के लिए जो सपने देखते है   आशा है आप सभी स्वस्थ और आनंद में होंगे ,  कुछ दिनों से आप लोगों से कुछ बातें कहनी थी ,  पर आवश्यक कार्यो...