Saturday, September 1, 2018

गीत को पत्र


प्यारी बहन 
  गीत
मैं अभी कोटा में हूँ, और बेहद खुशनुमा दिन गुजार रहा हूँ, और आशा है, तुम भी स्वस्थ रहकर कुशलता पूर्वक जिंदगी के मजे ले रही होगी |
       मैं जबसे कोटा आया हूँ, तबसे मेरी खुशी बढती जाती है, बच्चों के बीच रहना उन्हें पढाना, उनके साथ खेलना, उन्हें मनाना, उन्हें सिखाना, उनसे सीखना यकीन मानों बेहद खूबसूरत होता है, आपको हमेशा ये चमकती आंखें उत्साहित करती रहती हैं|
        मेरी यहाँ २ कक्षाएँ होती हैं, एक सुबह एक शाम, विषय जैन दर्शन के कुछ ग्रन्थ और सामान्य सदाचार, और ये दोनों ही कक्षाएँ मुझे लेना पसंद हैं, क्योकि इन से बच्चों के साथ साथ मैं भी सीख रहा हूँ| मैंने ये अनुभव किया की किसी विषय को अच्छे से पढ़ने का तरीका उसे पढाना शुरू कर दो, ऐसा नहीं की बिना पढ़े ही कुछ भी पढ़ा दो और आप सीख जावेंगे, बल्कि हम तब सीखते है, जब हम पढाने से पहले उसकी तैयारी करते हैं, पता नहीं छात्र कौन से प्रश्न पूछ लें, इसलिए जो विषय पढाना उसकी बारीकी से पढाई हो जाती है|

चलो छोडो मैं भी अपनी लेकर बैठ गया, तुमसे ढेर सारी बातें करना है और बताना है, उनमे से कुछ अभी और कुछ बाद मे
          तुम्हारी और मेरी बात फेसबुक के एक हास्य ग्रुप के पेनल से शुरू हुई, तुम सुलझी हुई थी, और मुझे ऐसे लोगों से बातें करने में आनंद आता है, फिर लिखना देखा, बस तबसे लगा ये लड़की अपनी तरह की है, तुम्हे पता है, जितने  दिमाग में विचार आते हैं उसका १०० गुना कम बोलने में आता है और जितना बोलने में आता है उससे १०० गुना कम लिखने में आता है, याने की १० हजार विचार होने पर एक विचार लिखने में आता है, इसलिए लिखना इतना आसान भी नहीं , प्लीस अब तुम ये मत कहना की आसान काम अपने को पसंद भी कहाँ है|
        दरअसल जिंदगी अपनी तरह की एक ही होती है, उसमे कुछ भी करना आसान नहीं होता, परेशानियाँ पीछा नहीं छोडती, पर परेशानियाँ मुझे डराने और परेशा करने की बजाय एक नए उत्साह को भर देती है, मैं ये दावा नहीं कर रहा की मैं परेशानियों से बिलकुल नहीं घबराता या नहीं  डरता , हां मैं डरता हूँ, पर सीधे हार कर हथियार नहीं डालता, मैदान में डट जाता हूँ, कभी जीत जाता हूँ, कभी सीख जाता हूँ, बस बिना लड़े भागता नहीं हूँ|
        हमे मुसीबतों से जरुर भिडना चाहिए , लेकिन अधूरी ताकत से नहीं , अधूरी ताकत से भिडेगे तो मुसीबत हम पर हावी होगी और हमे गिरा देगी, इसलिए लड़ो मगर पूरी योग्यता और शक्ति से आधे अधूरे बल से जंग नहीं जीती जाती|
         आज दुनिया में करोडो आदमी असफल घूम रहे है, पर उनमे भी बुद्धिमान और प्रतिभाशाली लोगो की तादाद  ज्यादा है| तुम सोच रही होगी ये बड़ी अजीब बात है की बुद्धिमान, प्रतिभाशाली और असफल, हाँ ये बिलकुल सच है की कई बुद्धिमान और प्रतिभाशाली लोग आज असफल हैं, कार सिर्फ इतना है की उन्हें अधूरा काम करने की आदत है, वे किसी काम के अंत तक धैर्यवान नहीं रह सकते और काम को अधूरा छोड़ देते है, और अंततः असफलता ही उनके हाथ लगती है, कमाल की बात तो यह है की हमको बहुत चीजों के बारे में पता है, कि वे हमारे जीवन में महत्वपूर्ण है, लेकिन आलस्य और अतिआत्मविश्वास के कारण उन्हें अमल में नहीं लाते और बने रहते है पीछे, इसलिए आगे जाने के लिए दिल को खुश रखने और अंततः संतुष्ट होने के लिए मेहनत और लगन चाहिए|
          मुझे पहले आदर्शवादी विचार घेरे रहते थे, आदर्शवाद के चक्कर में कई बार मन मसोस के उन चीजो को छोड़ दिया, जो मुझे करनी चाहिए थी, और फिर मुझे यथार्थवादी ख्याल अच्छे लगने लगे और मैं उन्हें ही जहन में जगह देने लगा, फिर कुछ समय बाद लगा आदर्शवाद असल में आदर्शवाद ही होता है पर अगर यथार्थ में उसको मिला दें तो, फिर अब दोनों से प्यार हो गया, और दोनों की सन्धि बनाकर चलने की कोशिश करने लगा |
      बस यही मेरा असल राज है वो है सामंजस्य बनाने कि कोशिश
      बाकि मजबूत और कमजोर या परिस्थितियों से उतना फर्क नहीं पड़ता जितना हमारी मनस्थिति से पड़ता है इसलिए मनस्थिति बेहद मजबूत बनाओ लड़की और अपने दिल को से ही मासूम और पवित्र रहने दो, जिंदगी तुम्हारी ही है ,
                                                   ढेर सारा प्यार लड़की❤️❤️❤️❤️❤️
                                                                                                                       पीयूष जैन
                                                                                                                       गौरझामर
                                                                                                                      १२/०८/२०१८






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