Tuesday, September 4, 2018

दीदा और अप्पू के लिए


प्रिय
दीदा & अप्पू
मैं यहाँ कोटा में मजे में हूँ और बेहद कमाल के दिन यहाँ गुजर रहा हूँ तुम दोनों  भी घर पर बेहद खुश और मजे में होंगी.......... तुम्हे याद होगा पिछले ११ सालों में हम केवल एक राखी पर साथ थे वो भी पिछले बार , पिछले बार उन १० सालों की कसर पूरी गयी थी, लेकिन इस १२ वे साल फिर वाही ढांक के तीन पांत , फिर घर नहीं आ पाया ........ इसके लिए बहुत सारा सॉरी, लेकिन इस बार तुम दोनों की बेहद याद आई  ......

आज धानी और ध्वनि ने मुझे राखी बाँधी , और नेहा भाभी ने घर से आई राखियाँ मेरी कलाई पर बाँध दी ..... उस वक्त मुझे पिछले साल की याद आ रही थी जब ९ भाई ओर ८ बहनें मिलकर, साथ में बुआ को लेकर  पापा चाचा मंजले पापा संजले पापा के साथ मिलकर राखी  का त्यौहार मना रहे थे .... मै नीली जेकेट और सफ़ेद कुरते पजामे में था और बहुत ज्यादा हँसी मजाक चल रहा था, तुम दोनों मुझे राखी बांधने के लिए थाली सज़ा लाइ थी....

मुझे ये त्यौहार पसंद है, शुरू से, किसी धार्मिक वजह से नहीं,  न ही किसी कहानी के कारण, विष्णु ने रक्षा की इसलिए भी नहीं और किसी रानी ने किसी राजा को राखी बांधी इसलिए भी नहीं, मुझे बस ये त्यौहार पसंद है , तुम दोनों के कारण, साल भर तुम दोनों हमारे लिए साल के ३६४ दिन त्यौहार मनाके रखती हो, और एक दिन जब तुम्हारा त्यौहार आता है, तो इसे मनाने की बहुत वजह हो जाती है |

अब इस त्यौहार की मुख्य थीम पर आयें तो भाई बहन की रक्षा का वचन लेता है, और बहन के मुसीबत में पड़ने पर उसकी रक्षा करता है, मेरे लिए हमेशा इससे उलट बात रही, दीदा आपने बचपन में ही मेरे गहरे, गटर के गड्ढे में गिरने पर, छोटी होने बावजूद जोर जोर से चिल्ला के, दूर खड़े एक कजिन को आवाज़ देकर मेरी जान बचा ली, और मैं आज आपको यह पत्र लिख पा रहा हूँ, ये सब आपका कमाल है, छोटी उम्र में अपने बलविहीन होने पर भी बुद्धि से अपने भाई को जिन्दा बचा लेने का |

छोटी छोटी बातों से लेकर बड़ी बड़ी बातों में भी मेरी प्रमुख सलाहकार , मैं जब भी घर पर रहता हूँ, बेफिक्र रहता हूँ, जानता हूँ, दीदा है न, हर काम मेरा कर देने के बाद कभी कोई अहसान नहीं जताना, ये कहाँ से सीखा पता नहीं पर मैं ये हमेशा नोटिस करता हूँ | मेरी हर छोटी बात पर ध्यान रखने वाली मेरी दीदा , मुझे जब भी एक्स्ट्रा फोन चलाने पर तुम्हे कहता देखता हूँ, “मम्मी ये पीयूष तो अपनी आंखे ख़राब करके मानेगा, कितनी प्यारी आँखे थी इसकी, परिवार में सबसे अच्छी अब देखो २ इंच अन्दर हो गयी, मेरी इतनी सुन्दर आंखे होती तो खूब ख्याल रखती” तो  संतुष्टि हो आती है, पिछले जन्म में बड़े पुण्य किये जो तुम मिल गयी, जब भी घर मे कोइ नयी खाने कि चीज आती है तो मैनें कभी तुम्हे पूरा पीस खाते नहीं देखा, आधा पीस उसमे से मुझे रखा जाता था, पता था पीयूष को मीठा पसंद है, हमेशा एक्स्ट्रा मिठाई खाने के बाद प्यार भी हमेशा एक्स्ट्रा मिला |

हाँ जब तुम मुझे लड़कियों से फ़ोन पर बात करते और चैट करते देखती हो, और तुरंत टोक देती हो, तो अच्छा लगता है, लेकिन किसी लड़की का फ़ोन या मेसेज आने पर फ़ोन मेरे हाथों में थमा देती हो, तो विश्वास हो जाता है, विश्वास अब भी कायम है, और ये विश्वास मुझे सही सलामत रखता है, मुझे आश्चर्य होता है, की आपके पास मेरा फोन होने पर भी मेरे कभी मेसेज चेक नहीं होते, कभी कॉल डिटेल नहीं देखी जाती, तुम ये केसे कर पाती हो?? मुझे नहीं पता, लेकिन यही वो चीज़ है, जो मुझे प्रेरित करती है, की कम से कम इस लड़की का विश्वास नहीं टूटना चाहिए...

तुम्हे बेकार की बातों पर कान देना नहीं आता, एक एक जिम्मेदारी को निभाने वाली जिम्मेदार बहन के रूप में हमेशा दिखती हो, पता नहीं क्यों ? बचपन से लेकर अब तक तुम्हे बड़े की तरह व्यवहार करते देखा है, अलबत्ता पिछले साल बस तुम्हारा बचपन देखा “मम्मी मेरे दांत आ रहे और मुझे दांत दिखाना “ मुझे चिड़ाना, तुम पहले बड़ी हुई फिर बड़े होकर बच्ची हुई |

अप्पू तुम जैसी लड़ाकू पर समझदार मैंने बहुत कम लोगों को देखा है, तुम मुझसे छोटी हो पर मुझ से बहुत समझदार, लादी गयी हर बुरी चीज़ को सिरे से नकार देना, और अपना रास्ता खुद बना लेना, यही तुम्हारा जीनियस है, दुनिया में बहुत से लोग हैं , जिन्हें अच्छे बुरे की पहचान नहीं है, पर तुम उन लोगों में से नहीं हो,  और यह बात मुझे हमेशा गर्व से भर देती है| सब के साथ कठोरता से पेश आने वाली मेरी बहन नं जाने मेरे साथ इतनी सरल केसे हो जाती है, पता है तुम्हे मैंने तुमसे ज्यादा डांट खाई है  और पापा से कम, अच्छा लगता है जब तुम जैसा छोटी अपने अपने बड़े भाई को रास्ता दिखा देती हो ....    

किसी को एक चाय तक पिलाने में न नुकुर करने वाली लड़की साधन न होने पर भी रूम पर ही मेरे लिए पूरी थाली भरकर लगा देती है, और बड़े प्यार से एक बार कहने के बाद न खाने पर गुस्सा दिखाकर १ रोटी एक्स्ट्रा खिला देती है तो यकीं होता है, की छोटी बहन का बड़ा भाई होना कितने भाग्य की बात होती है.....

हाँ मुझे तुम दोनों से बड़ा मोह है... तुम दोनों की राखियाँ मेरे पास पहुँच गयी, पर मुझे लगा मुझे भी तुम्हे राखियाँ भेजना चैये था, पर नहीं भेज पाया पर अँगली बार जरुर..... इसी तरह मेरा ख्याल रखने और सुरक्षित रखने के लिए ........

ऐसे ही सरल बने रहो दोनों ....

दीदा को चरण स्पर्श और अप्पू को ढेर सारा प्यारा ... हां ठीक है मैं म. प्र. का हूँ तो अप्पू तुम्हारे भी पाव छू लेता हूँ, ढेर सारा आशीर्वाद अप्पू........

तुम्हारा भाई
पीयूष   



5 comments:

  1. 😢😢
    पीयूष, ये पत्र दीदा और अप्पू को पढ़वाया है न,,,,,
    तुम भाई-बहनों का रिश्ता यूँ ही प्यार से सज़ा रहे

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  2. Itna sunder likha h k sabad nhi h bayaan karne ko

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  3. एक दम सुपर से ऊपर👌👌👌

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